लखनऊ। आर्थिक मोर्चे Economic front पर भाजपा की विफल नीतियों के चलते देश संकटग्रस्त हो गया है। यह बात समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कही है उन्होंने कहा कि मंहगाई पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापक स्तर पर आर्थिक अराजकता फैलाई है उससे व्यापार का समस्त ढांचा नेस्तनाबूत हो गया है। किसान को फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है। खाद, बीज, बिजली सब की किल्लत है। जनसामान्य की जिंदगी तबाह हुई है।
Economic front और कृषि अर्थव्यवस्था
जबसे भाजपा ने केन्द्र और राज्य में सत्ता सम्हाली है, Economic front आर्थिक मोर्चे और कृषि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। भाजपा ने गेंहू और गन्ना किसानों को धोखा दिया। गेंहू खरीद में खूब धांधली हुई। गन्ना मिलों में पेराई सत्र शुरू हो गया है पर किसान को बकाया धन नहीं मिला।
अभी ज्वार, बाजरा, उड़द, मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित हुआ पर हकीकत यह है कि किसान को ज्वार के घोषित 2400 रूपए की जगह मात्र 1200 रू0, बाजरा के घोषित मूल्य 1950 की जगह 1300, उड़द का घोषित मूल्य 5600 की जगह 3500 और मक्का के घोषित मूल्य 1700 की जगह मात्र 1000 रूपए ही मिल रहे हैं। कोई खरीद केन्द्र नहीं खोला गया है। फलस्वरूप बिचैलिये और आढ़तियों के हाथों किसान लुटने को मजबूर है।
एक ओर तो किसान को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है दूसरी तरफ डीएपी खाद में 800रूपए प्रतिकुंतल वृद्धि कर दी गई है जिससे वह 1100 से 1500रूपए प्रति कुंतल बिक रही है। 50 किलो यूरिया जो गतवर्ष 299 रूपए में मिलती थी अब 320 रूपए में बिक रही है। एनपीके (50 किलो) गतवर्ष के दाम 1,140 की जगह 1,350 रूपए बाजार में बिक रही है। 100 किलो गेंहू का बीज गतवर्ष 2,800 रूपए था अब 3,280रूपए में मिल रहा है। अरहर, उड़द और मसूर दाल दस से 15 रूपए मंहगी हो गई है।