अयोध्या व अम्बेडकरनगर में रात करीब आठ बजे के आसपास चंद्रमा का का उदय हुआ तो पति के दीर्घायु और परिवार के सुखमय जीवन के लिए दिन भर निर्जल करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत रखे – सुहागिन महिलाएं थाल में पूजा सामग्री लेकर छतों पर जा पहुँची। इससे पूर्व सभी ने करवा माता की कथा सुना, पूजा-अर्चना की। सुहागिनों ने चंद्रमा व अपने पति को छलनी से देखा। चंद्रमा को जल अर्पित किया और पति की लंबी उम्र की कामना की। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया।
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संस्कृति और धार्मिक आस्था के प्रतीक इस पर्व को अलग-अलग और सामूहिक रूप से घरों और धार्मिक स्थलों पर सुहागिन स्त्रियों ने मनाया। सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत बेहद महत्वपूर्ण है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
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प्रति वर्ष वर्ष कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। व्रत मुख्य रूम से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।. यह व्रत निर्जल रहा जाता है। देर रात चन्द्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया गया। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत करती हैं। करवा चौथ पर सुहागिन महिलाओं ने चंद्रमा दिखने पर 16 श्रृंगार कर माता करवा की पूजा किया। माता पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित
किया। कहा जाता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। करवा चौथ के दिन सबसे पहले गणेश की पूजा-आराधना करनी चाहिए। ऐसा करने दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। साथ ही सभी तरह की परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। सुख, समृद्धि, शांति मिलती है।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह