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उत्तर प्रदेश: ओबीसी चेहरे और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को आखिर क्यों करना पड़ा चुनाव का सामना

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 250 से ज्यादा सीटें हासिल कर बड़े बहुमत से सरकार बना ली थी, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि उसके बड़े ओबीसी चेहरे और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हार का सामना करना पड़ा था।

अब भाजपा की ही एक रिपोर्ट में सिराथू सीट से केशव प्रसाद मौर्य की हार की वजह बताई गई है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश भाजपा ने 80 पन्नों की एक रिपोर्ट में 2017 के मुकाबले सीटें कम होने की वजह बताई है ।

रिपोर्ट में बताया गया है कि अपना दल और निषाद पार्टी से गठबंधन के बाद भी कुर्मी और निषाद बिरादरी का अपेक्षित समर्थन भाजपा को नहीं मिल सका है, जबकि इन पार्टियों को भाजपा का वोट ट्रांसफर हुआ है।

भाजपा ने ओबीसी जातियों का समर्थन कम होने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है और माना जा रहा है कि आने वाले समय में इन्हें अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए पार्टी की ओर से प्रयास किए जाएंगे।  ओबीसी वोटर्स का एक हिस्सा भाजपा से अलग हुआ है और सहयोगी दलों का वोट उस पैमाने पर ट्रांसफर नहीं हुआ, जितनी उम्मीद की जा रही थी।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि लीडरशिप इस बात को लेकर चिंतित है कि राज्य में भाजपा की ओर से दो महीने तक सदस्यता अभियान चलाया गया और इसके बाद भी सीटें कम हो गईं।

भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन गाजीपुर, अंबेडकरनगर और आजमगढ़ जैसे जिलों में रहना है। इन तीन जिलों की 22 सीटों में से भाजपा को एक भी नहीं मिल पाई।

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