?️नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर मास्क लगाए विराजमान थे। चबूतरे के चारों तरफ दूर-दूर कुर्सियां पड़ी थीं। कोरोना महामारी को देखते हुए आज भी चबूतरे के पास पानी की बाल्टी, मग, साबुन और सेनिटाइजर रखा था। चतुरी चाचा मुंशीजी व कासिम मास्टर से लॉक डाउन बढ़ने और रबी फसल की कटाई-मड़ाई में आ रही कठिनाई पर चर्चा कर रहे थे।
मेरे वहां पहुंचते ही चाचा बोले- रिपोर्टर, मोदी जी ने लॉक डाउन तीन मई तक बढ़ाकर बहुत अच्छा किया। कोरोना वायरस से बचने का एक यही उपाय है। लेकिन, इतने दिन लॉक डाउन के बीत जाने के बाद भी कुछ लोग सड़क पर घूमने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ जाहिल राष्ट्रद्रोही कोरोना योद्धाओं पर ही हमला कर रहे हैं। वहीं, कुछ जमाती अभी भी छिपे हैं। वह मरकज चीफ भी छिपा है। उसने ही तब्लीगी जमातियों को पूरे देश में भेजकर कोरोना संक्रमण कई गुने बढ़ा दिया। वरना, अब तक भारत में कोरोना काबू में आ गया होता।
हमने चाचा की हां में हां मिलाते हुए कहा- चीन से निकले इस वायरस ने पूरी दुनिया को तबाह कर दिया है। करोड़ों लोग मार्च से अपने घरों में कैद हैं। सारा कामकाज ठप है। भारत सहित तमाम देश आर्थिक मोर्चे पर कई साल पीछे चले जा रहा है। अब तक दुनिया में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग बेमौत मारे जा चुके हैं। वहीं, 22 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से पीड़ित हैं। भारत में साढ़े चार सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से 14 हजार से ज्यादा लोग बीमार हैं। अमेरिका, स्पेन, इटली, फ्रांस, ईरान व जर्मनी इत्यादि देशों में मौत का सिलसिला जारी है। चीन में फिर कोरोना ने पांव पसार दिए हैं। समय से लॉक डाउन हो जाने के कारण भारत में कोरोना संक्रमण बेहद कम है। भारत विश्व के तमाम देशों को कोरोना के इलाज के लिए क्लोरोक्वीन नामक दवा भी भेज रहा है।
इसी बीच चंदू बिटिया कुल्हड़ में गिलोय का काढ़ा लेकर आ गयी। चंदू ने भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए एक खाली कुर्सी पर काढ़ा की ट्रे रखकर फुर्र हो गयी। बातों का सिलसिला फिर से शुरू होता। उसके पहले ही बड़के दद्दा और ककुवा की जोड़ी भी पधार गयी। सबने गिलोय का काढ़ा लिया। बड़के दद्दा बोले- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली व बिहार सहित अन्य राज्यों में एक वर्ग विशेष के लोगों ने सारी सीमाएं पार कर दी हैं। ये लोग अपना और अपने परिजनों का इलाज नहीं करवा रहे हैं। इस तबके के लोग आए दिन डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टॉफ और पुलिस पर हमला कर रहे हैं। इनके खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ककुवा बोले- तुम पंच कोरोना केरे पीछे पड़े हौ। तुमरी भावना सब जगह पहुंचाय। सब जने एकजुट होय जायँ। यहै समयक माँगि हय। कोराउना भारत ते भागि जाई। अब बंदी बढ़य न। खेती-बाड़ी, स्कूल-कालिज अउ उद्योग-धंधा चालू होय का चाही। ई ससुरे कोराउना केरे चक्कर मा देश क्यार बड़ा नकसान होय रहा। हम किसानन केरी दुर्गति होय रही हय। रबी फसल ख्यातन मा पाकि खड़ी हय। फलु अउ सब्जी खेतनय मा बर्बाद होय रही। याक लँग कोराउना तांडव करि रहा हय। दूसरी लँग कहूँ हालाडोला, कहूँ आँधी,पानी अउ पाथर छकाय रहा। मुला याक बाति बड़ी नीक हय। कोराउना ते निबटय केरी ख़ातिन पूरा विश्व एकजुट होय गवा। बसि चंद जाहिलन का छाड़ि कय।
मुंशीजी ने कहा- कोरोना वायरस मानव को एक झटके में घुटनों पर ला दिया। सब हवा में उड़े जा रहे हैं। कोई चाँद पर कब्जे की तैयारी कर रहा है तो कोई मंगल पर। कोई सूरज के रहस्य जनाने की कोशिश कर रहा है तो कोई अंतरिक्ष में आशियां ढूँढ रहा है। चीन पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने की कुनीति में लगा है। वहीं, रूस, अमेरिका व अन्य परमाणु महाशक्तियां पूरे विश्व को अपनी धौंस में लेती रहती हैं। कहीं धर्म के नाम पर नरसंहार चल रहा है तो कहीं जाति के नाम पर अत्याचार। लूट, डकैती, हत्या और बलात्कार किये जा रहे हैं। मानव जाति की सभ्यता तो जैसे समाप्त हो चुकी है। लेकिन, कोरोना ने सबको सिर्फ अपनी जान बचाने पर विवश कर दिया है।
कासिम चचा पूरी तरह आध्यात्मिक होते हुए बोले- ऐसा लग रहा है जैसे अल्लाह कह रहा हैं कि ”मैंने तो तुम लोगों को रहने के लिए इतनी खूबसूरत धरती दी थी। तुम लोगों ने इसे बर्बाद करके दोजख बना दिया। मेरे लिये तो आज भी पूरी धरती एक परिवार की तरह है। मुझे तुम्हारे देशों की सीमाएं नहीं पता हैं। मैंने जाति नहीं सिर्फ़ इन्सान बनाये थे। क्यों एक दूसरे को मार रहे हो? तुम सबको अंत में मेरे पास ही आना है। तब भी छीना-झपटी, कत्ले-आम मचा रखा है। मैंने अभी तो बस कयामत की झलक भर दिखलाई है। हे मानव, संभल जाओ और सुधर जाओ। एक बार सब लोग परिवार की तरह रहकर तो देखो, सब ठीक हो जाएगा।”
इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। क्योंकि, दूरदर्शन पर रामायण सीरियल आने का समय हो गया था। सब अपने घरों की तरफ रवाना हो गए। मैं अगले रविवार को फिर चतुरी चाचा के प्रपंच पर होने वाली बतकही लेकर हाजिर होऊँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम।
– नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
19 अप्रैल, 2020