दो दिन पहले चीन ने अमेरिका के 75 अरब डालर के सामान पर टैरिफ बढ़ाने का निर्णय लिया था जिसका अमेरिका ने कड़ा विरोध जताया था। अमेरिका ने जवाब दिया था कि अगर चाइना ऐसा करता है तो अमेरिका भी कड़े प्रतिबंध लागाएगा। चीन की कार्रवाई से पहले अमेरिका ने चीन के 300 अरब डालर की वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने की धमकी दी थी। दुनिया के दो बड़े देशों के बीच शुरू हुआ यह ट्रेड वार पूरी दुनिया के लिए नया संकट पैदा कर सकता है।
आयात टैरिफ में बढ़ोत्तरी को लेकर दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। देखने में यह समस्या सिर्फ दो देशों की लगती है लेकिन अगर यह जल्द से जल्द नहीं खत्म हुई तो पूरी दुनिया को इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अगर अर्थव्यवस्था के जानकारों की माने तो यह स्थित बने रहने के कारण अमेरिका को एक बार फिर से मंदी झेलनी पड़ सकती है जिसका असर दूसरे देशों में भी पड़ेगा।
मौजूदा दौर में पूरी दुनिया में लगभग नौ देश मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और यदि US और China के बीच ट्रेड वार खत्म नहीं हुआ तो दुनिया की अर्थव्यवस्था को लगभग 585 अरब डालर का घाटा हो सकता है। ट्रंप ने शुक्रवार को चीन में कार्यरत अमेरिकी कंपनियों से अपना नया ऑप्शन सर्च करने के लिए कहा है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को चाइना की जरूरत नहीं है। बता दें कि इस समय ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, सिंगापुर, ब्राजील वे प्रमुख देश हैं जिनमें मंदी का असर सबसे ज्यादा है।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि हमें किसी भी मामल में उनसे कम नहीं हैं बल्कि सच पूछा जाए तो हम उनके बिना ही अच्छे हैं। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भी चीन के 300 अरब डालर के उत्पादों पर 10 से 15 फीसदी तक शुल्क वृद्धि करेगा। उन्होंने कहा कि आने वाली 1 अक्टूबर यह बढ़ी हुई दर लागू होगी। इस ट्रेड वार का असर कितना व्यापक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रंप की घोषणा के बाद अमेरिकी बाजार में तीन प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।
दूसरी तरफ अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने का चीन ने भी कड़ा विरोध किया है। एक इंटरव्यू के दौरान चीन की तरफ से कहा गया कि अमेरिका ने बिना किसी कारण चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाया है। ट्रंप ने एक ट्वीट करके यह कहा था कि पिछली सरकारों ने कुछ ऐसे कदम उठाए थे जिसकी वजह से अमेरिका को काफी नुकसान उठाना पड़ा लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।