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एक्सप्रेस-वे पर नहीं होगा खतरा

लखनऊ। यूपी के एक्सप्रेस-वे पर तेज और सुरक्षित सफर कराने की तैयारी है। इसके लिए सरकार बेहतर तकनीक का इस्तेमाल करेगी। आधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे। सरकार की कोशिश है कि सफर आरामदेह भी हो। राह में कोई खतरा न हो। सफर कम समय में पूरा हो। हादसों की नौबत न आए। सुरक्षित और बिना विघ्न सफर के लिए यूपीडा ने फिलहाल बजट में 4306 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। ऐसी ही तैयारी सरकार अब यूपी के सभी एक्सप्रेस-वे के लिए करने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी का सारा जोर हादसे मुक्त यातायात पर है। प्रदेश में 1700 किमी के पांच एक्सप्रेस- वे का जाल बन रहा है। यह यूपी के प्रमुख हिस्सों को एक दूसरे से जोड़ेगा।

यमुना एक्सप्रेस-वे व लखनऊ- आगरा एक्सप्रेस- वे

यमुना एक्सप्रेस-वे व लखनऊ- आगरा एक्सप्रेस- वे पर हादसों से सरकार ने सबक लिया है। अब निर्माणाधीन व नए प्रोजेक्ट्स में नई तकनीक व सुरक्षा के उपाय किए जाएंगे ताकि सफर सुरक्षित रहे। यूपीडा ने 4305.78 करोड़ रुपये का प्रस्ताव अनुपूरक बजट के लिए भेजा है।
मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाले गंगा एक्सप्रेस वे (596 किमी) प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार करने के लिए सलाहकार का चयन होना है। इसके लिए फिलहाल 15 करोड़ रुपये मांगे गए हैं।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे (296 किमी) चित्रकूट जिले के भरतकूप गांव से शुरू होगा। यह बांदा, हमीरपुर, महोबा, जालौन, औरैया होते हुए इटावा पहुंच कर आगरा- लखनऊ एक्सप्रेस- वे से जुड़ेगा। इसके लिए जमीन खरीद के लिए 670 करोड़ रुपये, यूटीलिटी शिफ्टिंग के लिए 1120 करोड़ बैंकों से लिए कर्ज पर ब्याज की अदायगी पर 51 करोड़ रुपये यानी कुल1847 करोड़ रुपये की जरूरत है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस के लिए 352 करोड़ रुपये खर्च होने हैं।

लखनऊ से गाजीपुर तक बन रहे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे (341 किमी) के निर्माण के लिए 1024 करोड़ की तत्काल जरूरत है। इस पैसे का भुगतान निर्माण एजेंसियों को होना है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे (302 किमी) पर सुरक्षा व यात्रियों की सुविधा के लिए 80 करोड़ रुपये की जरूरत है

नई तकनीक से निर्माण लागत में भी अपेक्षाकृत 5 से 20 प्रतिशत तक कमी होगी। इसकी वजह मिट्टी की भार क्षमता बढ़ाने वाली तकनीक का इस्तेमाल होना है। यूपीडा ने इस काम के लिए निजी कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूर किया है। एक्सप्रेस-वे व अन्य राजमार्गों के लिए सड़क निर्माण में खास तकनीक व सामग्री का इस्तेमाल होगा। इससे मिट्टी की भार वहन क्षमता में बढ़ोतरी होगी। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर पांच-पांच किमी लंबाई की सर्विस लेन का निर्माण होगा।

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