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जानिये शरीर के किन अंगों से होता है शनि का संबंध…

शास्त्रों में शनिदेव को कर्मों का फल देने वाला देवता माना गया है. कहते हैं जैसा आप कर्म करेंगे शनिदेव आपको फल भी वैसा ही देते हैं. इन्हें न्याय का देवता भी बोला गया है. हम अक्सर अपने घर  इर्द-गिर्द उपस्थित मंदिरों में देखते हैं कि शनिवार के दिन मंदिर में ऑयल चढ़ाया जाता है. आइए जानते हैं शनिवार के दिन ऑयल चढ़ाने के पीछे क्या मान्यता है.
इन अंगों से होता है शनि का संबंध  ज्योतिष के अनुसार सभी 9 ग्रहों का संबंध मनुष्य के शरीर के अलग- अलग अंगो से होता है. शरीर के हर अंग का कारक भिन्न-भिन्न ग्रह होते हैं.शनि ग्रह स्किन, दांत, कान, हड्डियां  घुटनों के कारक ग्रह हैं. कुंडली में शनि के अशुभ होने पर शरीर के इन अंगों पर बीमारियां अतिक्रमण जमा लेती हैं. शनि को शनिवार के दिन ऑयल अर्पित करने  शरीर पर सरसों के ऑयल की मालिश करने से लाभ मिलता है.
शनि को ऑयल चढ़ाने की पौराणिक कथा शनिवार के दिन शनिदेव को ऑयल चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. जिसमें बताया गया है. एक समय शनिदेव को अपने ताकत का घमंड हो गया था. शनि लोगों पर अपनी अशुभ दृष्टि डालकर परेशान करने लगे थे. घमंड इतना ज्यादा हो गया था कि एक बार वे हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकार लगाने लगे. वह खुद को बहुत ताकतवर समझने लगे थे. जब उन्होंने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा, उस वक्त हनुमान जी भगवान राम के सेवा में लीन थे. उन्होंने युद्ध करने से मना कर दिया.
ऐसे दूर हुआ शनिदेव का घमंड घमंड में चूर शनिदेव ने उन्हें दोबारा युद्ध के लिए ललकारा, इस बात से नाराज होकर हनुमान जी ने शनिदेव को अपनी पूंछ में बांधकर परास्त कर दिया.इसके बाद शनिदेव को अपने गलती का एहसास हुआ. युद्ध में लड़ते-लड़ते शनिदेव का शरीर बुरी तरफ से चोटों से छिल गया था. शनि ने जब हनुमान जी से अपनी गलती की क्षमा मांगी तो उन्होंने लगाने के लिए ऑयल दिया. ऑयल लगाते ही शनि का दर्द दूर हो गया.
शनि पर ऑयल चढ़ाने का लाभ इस घटना के बाद शनिदेव ने हनुमान जी से मांफी मांगते हुए बोला जो भक्त हमें ऑयल चढ़ाएगा उसे कभी शनिदोष नहीं लगेगा. इसकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी. इसके बाद शनि को ऑयल अर्पित करने की परंपरा प्रारंभ हो गई.

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