भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक Goa के लिए आज का दिन बेहद ही खास है। आज के ही दिन गोवा को 1987 में राज्य का दर्ज़ा प्राप्त हुआ था। साथ ही पीएम मोदी के राजनैतिक सफर में भी गोवा की विशेष भूमिका रही है।
Goa : लम्बी लड़ाई के बाद मिली थी आज़ादी
30 मई 1987 को Goa को राज्य का दर्जा दे दिया गया था। एेसे में 30 मर्इ को गोवा राज्य को करीब साढ़े चार सौ साल के पुर्तगाली आधिपत्य से हटकर आजादी से सांस लेने का मौका मिला था। गोवा को आज़ादी के बाद भारत में विलय करने के लिए बहुत बड़ी सैन्य कार्यवाई की गयी थी। हालाँकि काफी लम्बी जद्दोजहद के बाद गोवा को भारत में मिलाने में सफलता मिली थी। पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा का ताल्लुक भारत के इसी गोवा राज्य से है। कोस्टा के पिता ओरलैंडो कोस्टा गोवा मूल के एक कवि रहे हैं। इसके अलावा इनके दादा लुई अफोन्सो मारिया डी कोस्टा भी गोवा के निवासी थे।
प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी ये राज्य काफी महत्वपूर्ण
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने का सफर भी यहीं से तय हुआ था। एेसे में जून 2013 में गोवा में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक बार फिर मोदी का नाम चर्चा में रहा। इस बैठक में मोदी के नाम का प्रस्ताव लोकसभा चुनावों की कैंपेन कमेटी के प्रमुख के तौर पर रखा गया। इसी के बाद उन्हें पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का रास्ता साफ हुआ।
इसके पहले भी आडवाणी ने किया था समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिंदगी में गोवा राज्य की विशेष भूमिका रही। गुजरात के मुख्यमत्री बने रहने से लेकर देश के प्रधानमत्री बनने का तक का रास्ता गोवा से ही होकर गुजरा। आज भी साल अप्रैल 2002 का वो किस्सा लोगों के बीच अक्सर चर्चा में रहता है। गुजरात दंगे के बाद गोवा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग हो रही थी। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी सीएम मोदी का इस्तीफा चाहते थे। कहा जाता है कि मोदी भी हर तरफ से दबाव देखते हुए सीएम पद से इस्तीफा देने को तैयार थे लेकिन इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी और स्वर्गीय प्रमोद महाजन जैसे नेताओं ने खुलकर उनका समर्थन किया था। इस दौरान आडवाणी की मेहनत रंग लार्इ थी। नरेंद्र मोदी को गुजरात के सीएम पद से इस्तीफा नहीं देना पड़ा था।