अधिकतर लोग पैसा कमाने के लिए लगातार कार्य करते रहते हैं व अपने घर-परिवार पर ध्यान नहीं देते. खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाते हैं. ऐसे लोगों को ज़िंदगी के अंतिम दिनों पछताना पड़ता है. इस विषय में एक लोक कथा प्रचलित है. जानिए ये कथा
- प्रचलित लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक आदमी बहुत धनवान था व वह हमेशा ही पैसा कमाने में व्यस्त रहता था. उसके परिवार में सभी इस बात से दुखी थे. आदमी के पास बहुत धन था, लेकिन उसने कभी भी खुद के लिए अच्छे कपड़े नहीं खरीदे, कभी भी अच्छा खाना नहीं खाया, परिवार वालों के साथ कहीं घूमने नहीं गया, उसने कभी भी धन का उपयोग नहीं किया. उसे सिर्फ पैसा कमाने में ही मजा आता था.
- काफी सालों तक ऐसे ही चलता रहा. उसे इस बात का ध्यान ही नहीं कि उसका बुढ़ापा आ गया है. इस अवस्था में भी वह लगातार पैसों के लिए ही कार्य करता रहा, जल्दी ही उसका अंतिम समय भी आ गया.
- जब उस आदमी का अंतिम समय आया तो एक दिन यमराज उसके सामने प्रकट हुए. यमराज को देखकर वह भय गया. यमराज ने उससे बोला कि तुम्हारा समय पूरा हो गया है. अब तुम्हें मेरे साथ चलना होगा. आदमी ने यमराज से बोला कि अभी तो मैंने मेरा ज़िंदगी अच्छा से व्यतीत ही नहीं किया है. मैंने परिवार के साथ समय नहीं बिताया. अब मैंने बहुत पैसा कमा लिया है, मैंने परिवार के साथ रहना चाहता हूं, तीर्थ यात्रा करना चाहता हूं. कृपया मुझे कुछ व समय दें.
- यमराज ने बोला कि नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, तुम्हारा ज़िंदगी आज समाप्त हो गया है. तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा. आदमी ने बोला कि आप मेरा आधा धन ले लीजिए, लेकिन मुझे सिर्फ एक माह व ज़िंदगी दान दे दीजिए. यमराज ने इसके लिए मना कर दिया. आदमी ने फिर बोला कि आप मेरा सारा धन ले लो, लेकिन मुझे सिर्फ एक दिन व जीने दो. यमराज ने उससे बोला कि नहीं, ऐसा संभव नहीं है. धन में इतनी शक्ति नहीं है कि वह बीता हुआ समय खरीद सके. समय अमूल्य होता है. इसका मूल्य नहीं लगाया जा सकता.
- व्यक्ति को समझ आ गया कि उसने धन के लालच में पूरा ज़िंदगी गंवा दिया. धन की वजह से पूरा ज़िंदगी व्यर्थ हो गया है.