झारखंड कुछ साल पहले पत्थलगड़ी आंदोलन को लेकर सुर्खियों में रहा था. इस आंदोलन का केन्द्र खूंटी था. गांवों में स्वराज के लिए प्रारम्भ हुए पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान कई गांवों में समानांतर सरकार चलाने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई थी. आंदोलनकारियों ने खुद की करैंसी, बैंक व सेना के गठन करना का ऐलान कर दिया था. झारखंड की सत्ता संभालते ही सीएम हेमंत सोरेन ने इससे जुड़े सभी केस समाप्त करने का ऐलान किया है. इसके अतिरिक्त उन्होंने अपनी पहली बैकिनेट में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संसोधन के विरोध को लेकर दर्ज मुकदमे भी वापस लेने का निर्णय किया है.
अलगाववाद के पहलुओं को जोड़ते हुए तत्कालीन रघुवर सरकार के दौरान पत्थलगड़ी टकराव से जुड़े 19 मामलों में राजद्रोह की धाराओं के तहत खूंटी में केस दर्ज हुए थे. वर्तमान हेमंत सरकार के इस निर्णय से आंदोलन से जुड़े कुल 172 नामजद आरोपियों को सीधी राहत मिलेगी. ज्ञात हो कि खूंटी में 19 राजद्रोह केस मं 96 आरोपियों के विरूद्ध प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे रखी है. 96 में से 48 के विरूद्ध न्यायालय में चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है.
पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान आठ से दस हजार ग्रामीण भी भिन्न-भिन्न कांडों में गैर नामजद आरोपी बन गए थे. जिन गांवों में पत्थलगड़ी हुई थी, वहां के ग्राणीणों को गैर नामजद आरोपी बनाया गया था. बीते कुछ माह पहले सीआईडी के एडीजी अनुराग गुप्ता ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि गांव के भोले-भाले लोग जिन्हें बहला फुसलाकर इन आंदोलनों में जोड़ा गया था, पुलिस उन पर कार्रवाई नहीं करे. सीआईडी के आदेश पर पुलिस ने किसी भी ग्रामीण के विरूद्ध राजद्रोह का केस नहीं चलाने का निर्णय लिया था.
पत्थलगड़ी के केस में खूंटी पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी, पत्रकार विनोद कुमार सिंह, आलोक कुजूर, धनंजय बिरूली समेत 20 लोगों को आरोपी बनाया था. वहीं, इस मुद्दे में पत्थलगड़ी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विजय कुजूर, कृष्णा हांसदा, जान जुनास तिडू, बलराम समद समेत कई लोग अब भी कारागार में बंद हैं. वहीं, इस मुद्दे में पुलिस युसूफ पूर्ति व बबिता कच्छप की तलाश कर रही है. केस वापस होने के बाद आरोपियों को राहत मिलेगी.