एक हफ्ते पहले जिस लेखक के नाम और उसकी किताब पर भारत में अदालत से सड़क तक बवाल मचा हुआ था, को उसी लेखक का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के व्लादिवोस्तोक में किया. ‘वॉर एंड पीस’ के लेखक और रूसी शांतिवादी लियो टॉलस्टॉय का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने उनमें और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी में समानताएं बताईं.
दरअसल, को व्लादिवोस्तोक ईस्टर्न इकॉनोमिक फोरम (EEF) में बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब संबोधन दिया तो उन्होंने कहा, ‘इस साल पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है. टॉलस्टॉय और गांधीजी ने एक दूसरे पर अमिट प्रभाव छोड़ा था. आइए भारत और रूस इस साझा प्रेरणा को हम और भी मजबूत करें.’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारत और रूस की पुरानी दोस्ती, आने वाले संबंधों पर चर्चा की.
भारत में क्यों हुआ था विवाद?
दरअसल, बीते दिनों रूसी लेखक लियो टॉलस्टॉय की किताब ‘वॉर एंड पीस’ भारत में सुर्खियों रही. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी वेरनॉन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इस किताब का नाम आया. हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान जिस किताब का जिक्र किया था वह थी ‘वॉर एंड पीस इन जंगलमहल: पीपुल, स्टेट एंड माओइस्ट’, जिसे विश्वजीत रॉय ने लिखा था.
कौन थे लियो टॉलस्टॉय?
आपको बता दें कि क्रीमिया युद्ध में हिस्सा ले चुके रूसी शांतिवादि लियो टॉल्सटॉय का हिंसा और युद्ध से मोहभंग हो गया था. जिसके बाद उन्होंने अहिंसा की अलख जगाई और उनकी गिनती 19वीं-20वीं सदी के सबसे बड़े महान शांतिवादी में होने लगी.
लियो टॉलस्टॉय की मशहूर किताबों में ‘वॉर एंड पीस’, एन्ना कारेनिना, चाइल्डहुड, बॉयहुड आदि जैसी बड़ी किताबें हैं.