जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को होने वाली 35वीं मीटिंग में कई राहतें दे सकती है. इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर 12% से घटाकर 5% किया जा सकता है. साथ ही तय सीमा से अधिक दाम वसूलने वालों की निगरानी के लिए गठित एंटी प्राफिटियरिंग अथॉरिटी (एनएए) का कार्यकाल 30 नवंबर 2020 तक बढ़ेगा. एनएए अब तक विभिन्न मामलों में करीब 67 आदेश जारी कर चुकी है. इसका गठन 2017 में हुआ था.काउंसिल की मीटिंग में कर चोरी रोकने के लिए सालाना 50 करोड़ रुपए से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई-इनवॉइस जरूरी करने पर भी विचार होगा. सभी राज्यों से सिनेमाघर व मल्टीप्लेक्स में ई-टिकट को जरूरी किया जा सकता है.
जीएसटी के रिफंड प्रोसेस व मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने का निर्णय कर सकती है. अभी प्रदेश व केन्द्र सरकार भिन्न-भिन्न रिफंड जारी करती हैं. प्रदेश सरकारों के सक्षम अधिकारियों द्वारा एक ही विषय पर विरोधाभासी ऑर्डर दिए जाने से पैदा होने वाली गफलत दूर करने के लिए एक अपीलेट अथॉरिटी बन सकती है. इससे कारोबारियों को लाभहोगा.
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- ई-इनवॉइस सुविधा :50 करोड़ रु। से अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई-इनवॉइस जरूरी किया जा सकता है. इससे वे GST रिफंड व ई-वे बिल के झंझट से मुक्त हो जाएंगे.
- ई-कार के दाम घटेंगे :इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत हो सकती है. ई-स्कूटर की कीमतें 5 हजार रुपए व ई-कार 1 लाख रुपए तक सस्ती होगी.
- टीवी-फ्रिज पर 12% कर :टीवी सेट, एसी व रेफ्रिजरेटर पर GST की दर को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किया जा सकता है. 32 इंच से बड़े टीवी पर 28% की दर 18 फीसदी हो सकती है.
- डिमैरिट गुड्स् पर कर बढ़े :सभी तंबाकू उत्पादों को ‘डिमैरिट गुड्स’ मानते हुए इन पर 28% कर लगाने व इसके अतिरिक्त अधिकतम उपकर लगाए जाने पर विचार हो रहा है.सरकारी लॉटरी पर कर बढ़ सकता है.
- एनएए 1 वर्ष व रहेगी :जीएसटी के आने के बाद गठित एंटी प्रॉफिटिंग सेल का कार्यकाल एक वर्ष व बढ़ कर 30 नवंबर 2020 होने कि सम्भावना है. ट्रिब्यूनल अब तक 67 मामलों में निर्णय दे चुका है.
- इंटीग्रेटेड ई वे बिल आएगा :काउंसिल एनएचएआई के साथ मिलकर इंटीग्रेटेड ई वे बिल लाने पर विचार कर रही है. इसके जरिए विभाग को वाहनों की लोकेशन पता करने में मदद मिलेगी.
- जीएसटी विशेषज्ञ मुकुल शर्मा का बोलना है कि GST रिफंड में सिंगल विंडो होने से देशभर के 12 लाख से अधिक ट्रेडर्स को लाभ होगा. अभी देश में 1.21 करोड़ दर्ज़ ट्रेडर्स हैं.इनमें 10 फीसदी ट्रेडर्स रिफंड लेते हैं. इनमें ज्यादातर आयात निर्यात से जुड़े कारोबारी, छोटे उद्यमी व सप्लायर हैं.