10 वर्ष के आयुष को एक सप्ताह में सिर्फ आधे घंटे के लिए ही डिजिटल डिवाइस प्रयोग करने का मौका मिलता है. हालांकि, अपनी पसंदीदा हॉबी- ‘कोडिंग’ के लिए भी उसे इतने ही समय की आवश्यकता होती है. आयुष की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिता के सिर्फ एक चैलेंज पर उसने एपल के लिए एक ऐप डेवलप कर दिया.
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- अमेरिकी न्यूज वेबसाइट यूएसए टुडे ने हाल ही में आयुष व उसके पिता अमित कुमार का साक्षात्कार किया. अमित कुमार के मुताबिक, आयुष को मोबाइल-कम्प्यूटर के साथ जितना समय मिलता है, उतने में ही वो अपनी कोडिंग के साथ गेमिंग के लिए भी समय निकाल लेता है. दरअसल वह अमित ही थे जिन्होंने आयुष को एपल के वर्ल्डवाइड डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस के लिए चुनौती दी थी.
- एपल के इस कार्यक्रम में किसी भी आदमी को भाग लेने के लिए एक ऐप बनानाहोताहै. अमित के मुताबिक, मैंने आयुष से बोला कि वह कॉम्पिटीशन क्वालिफाई नहीं कर पाएगा. लेकिन उसने चैलेंज स्वीकार किया. इस दौरान अमित ने आयुष के लिए मोबाइल-कम्प्यूटर प्रयोग करने का टाइम बढ़ा दिया.
- एपल का स्कॉलरशिप कार्यक्रम छोटे बच्चों को डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस में भाग लेने का मौका देता है. आमतौर पर इसके एक टिकट की मूल्य 1000 डॉलर (करीब 70 हजार रुपए) तक होती है. खास बात यह है कि एपल कॉन्फ्रेंस में एंट्री के लिए कम से कम 13 वर्ष आयु होनी चाहिए. लेकिन आयुष की क्षमता को देखते हुएएपल को भी उसे छूट देनी पड़ी.
- चौथी क्लास में पढ़ने वाले आयुष का बोलना है कि उसे बचपन से ही कोडिंग पसंद आने लगी थी. ऐसे में एपल के लिए ऐप बनाना इतना कठिन नहीं था. आयुष ने फिजिक्स पर आधारित प्रोजेक्ट पर एक ऐप बनाई, जिसे वैसे एपल के ऐप स्टोर पर लाने के लिए रिव्यू किया जा रहा है.
- आयुष का बोलना है कि एपल की कॉन्फ्रेंस में आप नयी चीजें सीखते हैं. ऐसी चीजें जिनके बारे में ज्यादातर लोग नहीं सोचते, जैसे निजता व सुरक्षा. हालांकिखुद का मोबाइल न होने की वजह से दूसरे ऐप्स प्रयोग नहीं कर पाते. आयुष की रुचि कारों में भी है व वे बड़े होकर टेस्ला जैसी कार तकनीक पर कार्य करना चाहते हैं.