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जानें मलेरिया के बारे में उपचार,डायग्नोसिस और कारगर दवा…

मलेरिया दुनिया में फैली हुई ऐसी बिमारी है जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं। ये बीमारी मादा मच्छर के काटने से होती है। मलेरिया शब्द इटालियन भाषा शब्द “माला एरिया” से बना है जिसका मतलब है ‘बुरी हवा’। यह ऐसी बिमारी है जो परजीवी प्लास्मोडियम के कारण होती है। क्या आप जानते है कि मलेरिया का सबसे पुराना वर्णन चीन (2700 ईसा पूर्व) में मिलता है। मलेरिया को दलदली बुखार (Marsh Fever) भी कहा जाता है। सन 1880 में मलेरिया का सबसे पहला अध्ययन चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन वैज्ञानिक द्वारा किया गया था।

मलेरिया काफी गंभीर रोग के रूप में माना जाता है। इसके लक्षण हैं बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जी मचलना और उल्टी होना। कई बार बुखार पसीना आने से उतर जाता है परन्तु कुछ घंटों बाद फिर हो सकता है। परन्तु यह निर्भर करता है कि किस परजीवी के कारण मलेरिया हुआ है।

डायग्नोसिस

– मलेरिया का निदान ब्लड टेस्ट के द्वारा किया जाता है।

– रोगी के रक्त से स्लाइड बनाकर प्रशिक्षित डॉक्टर माइक्रोस्कोप के द्वारा प्लाज्मोडियम नामक पैरासाइट की जांच करते हैं।

– आजकल अत्याधुनिक तकनीक के द्वारा एंटीजेनरेपिड कार्ड टेस्ट से मलेरिया की डायग्नोसिस कुछ ही मिनटों में की जा सकती है।

बेहतर है बचाव

– मच्छर भगाने वाली क्रीम और स्प्रे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

– मच्छरों को पनपने से रोकें। इसके लिए अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें।

– अगर जल निकास संभव न हो तो कीटनाशक डालें।

– मलेरिया बहुल इलाकों में जाने वाले व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे कुछ सप्ताह या कुछ महीनों तक डॉक्टर की सलाह से मलेरिया से बचाव के लिए कुछ दवाएं ले सकते हैं।

– बारिश के दिनों में मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। जैसे पूरी बाजू का कुर्ता और पायजामा आदि।

– मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसलिए बारिश के पहले ही नालियों की सफाई करवाएं और गड्ढे आदि भरवाएं।

– इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है। यह कार्य सरकारी तंत्र के अलावा डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ अच्छी तरह से कर सकता है।

– मलेरिया से बचाव का कोई टीका (वैक्सीन) अभी तक उपलब्ध नहीं है, पर इस पर अनुसंधान जारी है।

मलेरिया की सबसे कारगार दवा

समुचित इलाज न करने या लापरवाही बरतने पर मलेरिया जानलेवा हो सकता है। देश में हर साल हजारों लोग मलेरिया के संक्रमण से मर रहे हैं। इसलिए लक्षणों के प्रकट होते ही रोगी को शीघ्र ही डॉक्टर के पास ले जाकर जांच करवाएं। शीघ्र ही डायग्नोसिस और इलाज से मलेरिया से होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। मलेरिया में कई तरह की दवाओं का उपयोग होता है।

सबसे कारगर और डब्लूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त फर्स्ट लाइन दवा है- आर्टीमीसाइन कॉम्बिनेशन थेरेपी। यह दो दवाओं का मिश्रण है जो न केवल मलेरिया के रोगी को ठीक करती है बल्कि मलेरिया के रिलेप्स होने और इसे दूसरे व्यक्ति में फैलने से भी रोकती है। इसके अलावा क्लोरोक्वीन और सल्फा ड्रग आदि का भी इस्तेमाल होता है। बुखार उतारने के लिए पीड़ित व्यक्ति को पैरासिटामोल दें और शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ दें।

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