गर्भावस्था के दौरान डिलीवरी नॉर्मल होगी या सीजेरियन, इस सोच से भी तनाव होता है. प्रेग्नेंसी के चार माह बाद से यदि कुछ योगासनों को दिनचर्या में शामिल करें तो मांसपेशियां लचीली होंगी और पेट के निचले हिस्से का दर्द कम होगा. जानें ऐसे आसन जो नॉर्मल डिलीवरी की आसार बढ़ाते हैं.
यस्तिकासन :
इसे स्टिक पोज भी कहते हैं. इस आसन से शरीर में लचीलापन आता है. इससे पेट के निचले हिस्से और कूल्हे की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं.
ऐसे करें: जमीन पर दरी बिछाकर सीधे लेट जाएं. हाथों को सिर के ऊपरी तरफ लाएं व पैरों को नीचे की ओर स्ट्रेच करें. हाथों व पैरों के बीच ज्यादा गैप नहीं होना चाहिए. सांस अंदर लेते हुए पैरों के पंजों को धीरे-धीरे स्ट्रेच करें. क्षमतानुसार स्थिति में रुककर प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं. ऐसा 3-4 बार दोहराएं.
ध्यान रखें: कमर में तेज दर्द हो या रीढ़ से जुड़ी हाल ही कोई सर्जरी हुई हो तो न करें.
पर्वतासन –
इस आसन में शरीर का आकार त्रिकोण हो जाता है.
ऐसे करें : जमीन पर दरी बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं. हथेलियों को घुटनों से थोड़ा आगे जमीन पर रखते हुए शरीर को भी आगे की ओर झुकाएं. इस दौरान कमर सीधी रखें.धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर उठाने का कोशिश करें. हाथों व पैरों को सीधा रखें. ध्यान रखें कि क्षमतानुसार ही बॉडी को स्ट्रेच करें. सामान्य सांस लेते और छोड़ते रहें. कुछ समय इस अवस्था में रुककर प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं.
ध्यान रखें: गर्भावस्था के दौरान पहली व आखिरी तिमाही में इसका एक्सरसाइज करने से बचें.
उत्कटासन –
इस आसन को करते समय मुद्रा कुर्सी जैसी बनती है इसलिए इसे चेयर पोज भी कहते हैं. इससे जांघ, कमर व पेट के आसपास उपस्थित अलावा चर्बी दूर होगी.
ऐसे करें: दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं. हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए हथेली जमीन की ओर, कोहनियां सीधी हों. घुटनों को मोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को इस तरह नीचे करें कि कुर्सी की मुद्रा बन सके. ध्यान रखें कि हाथ जमीन समानांतर हो. सामान्य सांस लेते हुए व क्षमतानुसार कुर्सी की मुद्रा में रुकें और प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं.