समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोनभद्र में मुख्यमंत्री जी के आगमन से डरे हुए अधिकारियों द्वारा समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर आघात बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।
जनपद सोनभद्र के थाना घोरावल के ग्राम मूर्तिया के गांव उम्भा में 17 जुलाई दोपहर ग्राम के ही प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर द्वारा 32 ट्रैक्टरों में सैकड़ों समर्थकों के साथ हथियारों से लैस होकर गांव के निहत्थे आदिवासी जाति के नर-नारियों पर अचानक हमला बोल दिया था, जिसमें 7 पुरूष व 3 महिलाएं मौके पर ही मौत के घाट उतर गई तथा एक व्यक्ति की अस्पताल में मृत्यु हो गई, शायद इतना बड़ा नरसंहार कभी सुना व देखा नहीं गया होगा।
समाजवादी पार्टी ने 23 जुलाई को आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए सोनभद्र कूच करने का आह्वान किया है। जनता का आक्रोश जताने के लिए शांतिपूर्ण कूच का कार्यक्रम है लेकिन आज समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अवनीश कुशवाहा को प्रातः 8 बजे उनके घर से पुलिस थाना राबर्ट्सगंज में उठा लाई। राबर्ट्सगंज में समाजवादी पार्टी कार्यालय से पूर्व विधायक रमेश दुबे, पूर्व जिलाध्यक्ष रामनिहोर यादव, जिलाध्यक्ष विजय यादव, जिला सचिव प्रमोद यादव को गिरफ्तार किया गया। लोहिया वाहिनी के सचिव मन्नू पाण्डेय को भी पुलिस वाले उठा ले आए। पन्नूगंज थाना में सैकड़ों लोगों को बंद किया गया है।
सोनभद्र में पुलिस और जिला प्रशासन जो कर रहा है वह पूर्णतया अवैधानिक और अलोकतांत्रिक कार्यवाही है। इस क्षेत्र में 144 धारा भंग करने जैसी कोई बात नहीं थी। भाजपा के लिए धारा 144 कोई मायने नहीं रखती है प्रशासन जबकि धारा 144 के नाम पर विपक्ष को नरसंहार के घटना स्थल तक जाने से रोकता है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है। उसका संवैधानिक दायित्व था कि वह सोनभद्र में पहले से ही हिंसक घटना को रोकने के लिए कदम उठाती, उसमें तो वह पूरी तरह असफल रही। अपनी खीझ मिटाने के लिए वह अब विपक्ष के ऊपर दोषारोपण कर रही है लेकिन जनता भाजपा की सच्चाई जान गई है। सोनभद्र के नरसंहार की आंच से भाजपा सरकार बच नहीं सकती है। भाजपा सरकार लाख कोशिश भी करे इस जघन्य हत्याकाण्ड में वह अपने दायित्व से कैसे बच सकती है? प्रदेश के हर नागरिक की जान-माल की हिफाजत की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।