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व्यवहारात्मक शिक्षा ही ज्ञान कोषों के संचार और संवाद को सार्थक बनाती है- डॉ अलका सिंह

लखनऊ। श्रीराम स्वरूप मेमोरियल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट ने डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविधालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह का बीटेक के छात्रों के लिए एक विशेष व्याख्यान कराया। डॉ अलका ने इंजीनियरिंग के छात्रों से सॉफ्ट स्किल्स पर बात की। डॉ सिंह ने कहा कि आज की पीढ़ी को शिक्षा के गुणात्मक रूप को मानवीय पहलुओं से जोड़ कर देखने की आवश्यकता है।

व्यवहारात्मक शिक्षा ही ज्ञान कोषों के संचार और संवाद को सार्थक बनाती है- डॉ अलका सिंह

सॉफ्ट स्किल्स पेशेवर विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि उनमें पारस्परिक क्षमताओं की एक श्रृंखला शामिल होती है जो व्यक्तियों को कार्यस्थल की जटिलताओं को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में सक्षम बनाती है। अपने सॉफ्ट कौशल को निखारकर, व्यक्ति अपनी पेशेवर प्रतिष्ठा बढ़ा सकते हैं, अपने करियर की संभावनाओं को बढ़ावा दे सकते हैं और स्वयं तथा संस्था की सफलता में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।

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अंततः, मजबूत सॉफ्ट स्किल विकसित करना आज के प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल में पेशेवर विकास और सफलता का एक प्रमुख घटक है।

मीडिया संबंधित ज्ञान के विस्तार पर बातचीत करते हुए डॉ अलका ने कहा कि मीडिया एक शक्तिशाली उपकरण है जो समाज की राय, विश्वास और मूल्यों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टेलीविजन, रेडियो, प्रिंट और सोशल मीडिया जैसे मीडिया के विभिन्न रूपों के माध्यम से, सूचना को अभूतपूर्व दर से जनता तक प्रसारित किया जाता है।

व्यवहारात्मक शिक्षा ही ज्ञान कोषों के संचार और संवाद को सार्थक बनाती है- डॉ अलका सिंह

यह प्रभाव समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव डाल सकता है। एक ओर, मीडिया महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता बढ़ा सकता है, जनता को शिक्षित कर सकता है और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दे सकता है। दूसरी ओर, यह रूढ़िवादिता को भी कायम रख सकता है, गलत सूचना फैला सकता है और सुंदरता और सफलता के अवास्तविक मानक बना सकता है।

व्यक्तियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे मीडिया का आलोचनात्मक रूप से उपयोग करें और अपने दृष्टिकोण और व्यवहार पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में जागरूक रहें। अंततः, मीडिया में जनमत को आकार देने और अंततः सामाजिक मानदंडों और मूल्यों को प्रभावित करने की शक्ति है।

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इस विशेष व्याख्यान में उक्त इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्देशक प्रोफेसर बीके चौहान, डॉ डीके मिश्रा, डॉ अजेय बाजपाई और अन्य शिक्षकों समेत छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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