फैमिली न्यायालय में शनिवार को एक बेहद भावुक दृश्य दिखा. आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 14 वर्ष की एक बच्ची की आंखें आंसू से तर थीं. यह आंसू गम के नहीं, बल्कि 12 वर्ष बाद अपने पिता को पाने की खुशी के थे. मौका था झारखंड की राजधानी रांची में राष्ट्रीय लोक न्यायालय में 12 सालों से अलग रह रहे पति-पत्नी के बीच टकराव सुलझने का. बेटी ने जब पिता को देखा तो रहा नहीं गया. वह पिता के गले लग फफक-फफक कर रोने लगी. बेटी बोली- पापा बहुत हो गया. अब हम आपसे दूर नहीं रह सकते. हर पल हमें आपकी याद आती है. मम्मी भी आपको बहुत याद करती है. फिर क्या था, बेटी की बातें सुन पल भर में पिता सारे टकराव भूल गया. अपने जिगर के टुकड़े को गले लगाकर वह भी फफक पड़ा.एक बेटी के भावुक आग्रह ने 12 सालों की दूरी को पल भर में मिटा दिया. सबसे ज्यादा खुश वह बच्ची थी जिसे अब मां के साथ अपने पिता का लाड़-प्यार भी मिलेगा. इस परिवार को मिलाने में फैमिली न्यायालय की अलावा प्रधान न्यायाधीश प्रेमलता त्रिपाठी व अधिवक्ता वीणापाणी बनर्जी की जरूरी किरदार रही. ्
विवाद का कारण था शक
राजधानी रांची निवासी राजू (नाम परिवर्तित) अपनी पत्नी पर संदेह किया करता था. संदेह इतना गहराता गया कि जब उसकी बच्ची दो वर्ष की हुई, तभी पति-पत्नी अलग हो गए. राजू ने फैमिली न्यायालय में तलाक लेने के लिए मुकदमा किया. वहीं उसकी पत्नी ने 2008 में भरण-पोषण का मुकदमा किया था. राजू बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने का अनुमति न्यायालय से प्राप्त करना चाहता था जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था. यहां तक कि उच्च न्यायालय ने भी तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी.