देहरादून। बहुचर्चित रणवीर एनकाउंटर मामले में आरोपी देहरादून के 18 पुलिसकर्मियों को दिल्ली की एडीजे कोर्ट ने दोषी करार दिया है। इन पर आरोप तय कर दिए गए हैं। इन 18 पुलिसकर्मियों में से 17 को हत्या और साजिश करने के लिए व एक पुलिसकर्मी को सबूत मिटाने का दोषी करार दिया गया है। सबूत मिटाने वाले को 50 हजार रुपए का बॉन्ड भरने के बाद जमानत दे दी गई है।
शरीर पर लगी थी 22 गोलियां
दोषियों में दो इस्पेक्टर और चार सब इंस्पेक्टर सहित अन्य पुलिसकर्मी शामिल हैं। दोषी करार इन पुलिसकर्मियों की सजा पर शनिवार को बहस होगी। तीन जुलाई 2009 को आराघर चौकी प्रभारी जीडी भट्ट की सर्विस रिवाल्वर लूटने के आरोप में पुलिस ने इस दिन बाइक सवार रणबीर निवासी खेकड़ा, बागपत को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था।
- उसके दो साथी फरार बताए गए थे। अगले दिन रणवीर के परिजनों ने ग्रामीणों के साथ हंगामा किया था।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि चोट के 28 निशान थे, जबकि उसे 22 गोलियां मारी गई थी।
- सरकार ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या और दूसरी धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया था।
- बाद में जांच सीबीआई के सुपुर्द हो गई थी।
- रणवीर के पिता रवींद्र पाल ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर पूरे मामले की जांच दिल्ली स्थानांतरित करा ली थी।
- आरोपी 18 पुलिसकर्मी तब से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
- पुलिसकर्मी दबी जबान में अफसरों को कोसते भी नजर आए।
- इस एनकाउंटर ने उत्तराखंड पुलिस की ‘मित्र पुलिस’ की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया था।
- एक साथ 18 पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी और अब तक जमानत न मिल पाने के बाद पुलिस में खौफ बन गया था।
- शायद यही वजह है कि रणवीर एनकाउंटर के बाद से प्रदेश में अब तक कोई दूसरी मुठभेड़ नहीं हुई है।
- यह अलग बात हैं कि इन पांच साल में हिरासत में दो लोगों की मौत हो चुकी है।
- लेकिन दोनों मामलों में खाकी अपना दामन बचाने में कामयाब रही।
डालनवाला कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर एसके जायसवाल, आराघर चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, कांस्टेबल अजित सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश बिष्ट, उप निरीक्षक नीरज यादव, चंद्रमोहन, सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतवीर सिंह, चंद्रपाल, सुनील सैनी, नागेंद्र राठी, संजय रावत, इंद्रभान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुसाईं और मनोज कुमार शामिल हैं।