लखनऊ। जिस वैन या बस में आप बच्चे को स्कूल के लिए भेजते हैं, क्या वह सुरक्षित है? यह सवाल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि पूरे प्रदेश में डेढ़ साल में 211 ऐसे वाहन हादसों के शिकार हुए। इन हादसों में 24 बच्चों की जान चली गई। वहीं, 12 बच्चे दिव्यांग हो गए।
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परिवहन विभाग के रोड सेफ्टी सेल ने जून 2022 से दिसंबर 2023 के बीच हुए हादसों का ब्योरा जुटाया है। सूत्रों के मुताबिक इस दरम्यान हुए 211 हादसों में से 65 फीसदी वे प्राइवेट वाहन थे, जो बच्चों को स्कूल ले जाने और घर पहुंचाने में लगे थे। वहीं 35 प्रतिशत हादसे स्कूली वाहनों के हुए। हादसों की वजह तेज रफ्तार, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और वाहन का अनफिट रहना पाया गया। वाहनों की फिटनेस खत्म होने के बाद भी उनसे बच्चों को स्कूल पहुंचाया जाता रहा, ऐसे मामलों में वाहन मालिकों व चालकों की लापरवाही सामने आई।
अनफिट स्कूली वाहनों को लेकर आज मुख्य सचिव करेंगे बैठक
सड़क हादसों को लेकर प्रदेश सरकार संजीदगी दिखा रही है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह रविवार को प्रदेशभर के परिवहन अफसरों के साथ ऑनलाइन बैठक करेंगे। आरटीओ प्रवर्तन इसमें शामिल होंगे। इसमें अनफिट स्कूली वाहनों को सड़कों से हटाने की रणनीति बनाई जाएगी। इसके लिए प्रवर्तन दलों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो अगले हफ्ते से अभियान चलाएंगे।
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। अनफिट स्कूली वाहनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। वाहनों की फिटनेस के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।-पुष्पसेन सत्यार्थी, अपर परिवहन आयुक्त, रोड सेफ्टी
बच्चों के सुरक्षित स्कूली वाहनों पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के स्कूली बच्चों को लाने और वापस ले जाने वाले वाहनों के सुरक्षित होने के मामले में केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इन वाहनों की फिटनेस को लेकर नियम कानून के पालन की साल भर में की गई कारवाई का जिलेवार ब्योरा भी छह हफ्ते में पेश करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश ‘वी द पीपल’ संस्था के महासचिव प्रिंस लेनिन की जनहित याचिका पर दिया।