पाकिस्तान चुनाव आयोग ने कानूनी और राजनीतिक विवाद के बीच आरक्षित सीटों पर चुने गए 77 सांसदों को सोमवार को निलंबित कर दिया। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने आरक्षित सीटों के आवंटन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। पीटीआई की याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले को निलंबित करने के बाद पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) को अपनी सफलता को सूचित करने के लिए अपने पहले के आदेशों को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, ईसीपी के फैसले का सरकार पर कोई तत्काल प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन निलंबन को पीटीआई द्वारा राजनीतिक जीत माना जा रहा है।
चुनाव बाद पीटीआई को उसके हिस्से से रखा वंचित
आरक्षित सीटों का आवंटन चुनाव जीतने वाली पार्टियों की ताकत के आधार पर किया जाता है। हालांकि 8 फरवरी के चुनावों के बाद सभी पार्टियों को उनका उचित हिस्सा मिल गया, लेकिन पीटीआई को उसके हिस्से से वंचित कर दिया गया, क्योंकि उसने चुनाव में एक पार्टी के रूप में चुनाव नहीं लड़ा था। उसके समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल (एसआईसी) में शामिल हो गए थे।
एसआईसी के दावे को ईसीपी ने खारिज किया
आरक्षित सीटों पर एसआईसी के दावे को ईसीपी ने खारिज कर दिया था, क्योंकि उसने कोई सीट नहीं जीती थी। उसकी सारी ताकत पीटीआई के स्वतंत्र उम्मीदवारों पर आधारित थी, जो चुनाव जीतने के बाद इसमें शामिल हुए थे।
ईसीपी से शुरू हुई कानूनी लड़ाई
कानूनी लड़ाई ईसीपी से शुरू हुई, जिसने पीटीआई और एसआईसी के दावे को खारिज कर दिया। जीतने वाली पार्टियों को 77 अतिरिक्त सीटें आवंटित कीं, जो कि एसआईसी को जानी चाहिए थीं। निलंबित सांसदों में वे लोग शामिल हैं, जिन्हें नेशनल असेंबली और बलूचिस्तान को छोड़कर सभी प्रांतीय विधानसभाओं में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए अतिरिक्त आरक्षित सीटें दी गई हैं।
मुद्दा अंतिम फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित
निलंबित किए गए सांसदों में 22 नेशनल असेंबली सदस्य, जिनमें 19 महिलाएं और तीन अल्पसंख्यक विधायक थे। खैबर-पख्तूनख्वा विधानसभा में 25, जिनमें 21 महिलाएं और चार अल्पसंख्यक थे। वहीं, पंजाब विधानसभा में 27 में से 24 महिलाएं और तीन अल्पसंख्यक और सिंध विधानसभा में तीन में से दो महिलाएं और एक अल्पसंख्यक थे। हालांकि यह मुद्दा अभी भी अंतिम फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। 77 निलंबित सांसदों के भाग्य का फैसला शीर्ष अदालत द्वारा किया जाएगा।