देश के चार धामों में से एक बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है. भगवान बदरी विशाल की चल विग्रह डोली पांडुकेश्वर से बदरीनाथ धाम रवाना के लिए रवाना हो गई. रावल की मौजूदगी में उद्धव, कुबेर व शंकराचार्य की गद्दी डोली के साथ पांडुकेश्वर से चली. बदरीनाथ धाम से जुड़े हक हकूकधारी भी इसके साथ मौजूद रहे. बदरीनाथ के रावल आज निवास पर ही रहेंगे और कल सुबह साढ़े चार बजे बदरीनाथ धाम कपाट खुलने से पहले धाम पहुंचेंगे.
जानकारी के अनुसार बदरीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल यानी वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में 4:30 बजे खोले जाने थे. लेकिन कोरोना वायरस, कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की वजह से इस साल टिहरी नरेश ने कपाट की तिथि में बदलाव कर दिया और नई तिथि 15 मई तय की गई.
बताया जा रहा है कि सरकार के दबाव में टिहरी नरेश ने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि में तो परिवर्तन कर दिया, लेकिन केदारनाथ मंदिर के साथ ही गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के पंडा पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के विरोध की वजह से बाकी तीनों धामों के कपाट पूर्व निर्धारित समय पर ही खुले.
गौरतलब है कि ज्योर्तिपीठ के पीठाधीश्वार शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उत्तराखंड सरकार से बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि आगे बढ़ाने के निर्णय को वापस लेने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि शुभ तिथि को बदलना देव शक्तियों के प्रकोप को आमंत्रित करना होगा. शंकराचार्य ने बीते शनिवार को यूपी के मथुरा में कहा था कि ऐसे समय में जब देश कोरोना वायरस के संकट का सामना कर रहा है, देव शक्तियों को प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए.