मन अपना सादा किया है
—————————कुछ इस तरह से बिछडने का इरादा किया है,
ऐ जिंदगी तुझसे ना मिलेगे ये वादा किया है।दर दर की ठोकरें खाना,
बस यही है तेरा फ़साना,
ख़ामोश हो गए हैं हम,
तूने मेरे साथ रंज इतना ज्यादा किया है।मर जाएंगे पर तेरे पास ना आएंगे,
ओढ़कर जख्मों के चादर सो जाएंगे ,
अब ना ख्वाहिश बची तख़्त-ओ-ताज पाने की,
फ़कीरों सा मन अपना सादा किया है।सांस भरने की कीमत हमने चुकाई है,
माथे पर कर्ज़ है कंधे पर फर्ज़ हंस हंस के उठाई है,
कभी ना सोचा खुद के बारे में,
मैंने खुद का नुकसान दुसरों का फ़ायदा किया है।अब बस बहुत हुआ और सह ना पाएंगे,
ऐसा लगता है कुढ़- कुढ़ के जल जाएंगे,
सबको ख़्वाहिश रहती है मुझसे अच्छाइयों की,
ख़ुद की शख़्सियत को मैंने इतना क़ायदा किया है।पूजा ‘बहार’ (नेपाल)
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