नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है।
सन 1468 को महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन द्वारा इस नए प्रारूप का जन्म हुआ। उन्होंने मानव रक्त में उपस्थिति के आधार पर वर्गीकरण विज्ञान में योगदान दिया। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए ही कार्ल लैडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया।
वर्ष 1977 में विश्व संगठन में स्वैच्छिक रक्तदान की शुरुआत हुई, जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल कर सभी देशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई। इस पहल का मुख्य उद्देश था कि किसी भी नागरिक को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर पैसे देकर रक्तदान खरीदना ना पड़े और इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अब तक 49 देशों ने स्वैच्छिक रक्तदान को अमली जामा पहनाया है।
हालांकि, कई देशों में अभी रक्तदान के लिए पैसों का लेन-देन होता है, जिसमें भारत भी शामिल है। लेकिन फिर भी रक्तदान को लेकर विभिन्न संस्थाओं व व्यक्तिगत स्तर पर उठाए गए प्रयासों ने भारत में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर