हिन्दू माह के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। यह चार माह है:- माघ, चैत्र, आषाढ और अश्विन। चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं। आज सोमवार से गुप्त नवरात्रि की शुरू हो गई है। गुप्त नवरात्रि 22 जून से शुरू होकर 29 जून 2020, तक जारी रहेगी।
बेशक कोरोना वायरस के कारण शक्तिपीठों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद हों, लेकिन सोमवार शुरू हुए गुप्त नवरात्र में पुजारी नौ दिन तक चलने वाले पर्व में मां की विशेष पूजा करेंगे। इसके लिए तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस वर्ष इन गुप्त नवरात्र में किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान में कितने पुजारी भाग लेंगे यह तय नहीं हो पाया है। श्रद्धालुओं के आने जाने पर प्रतिबंध ही रहेगा।
जानकारी के अनुसार बता दें की मां के शक्तिपीठों में साल भर में पांच नवरात्र का आयोजन किया जाता है। चैत्र माह के नवरात्र मुख्यत: मार्च-अप्रैल में होते हैं। श्रावण अष्टमी का आयोजन जुलाई-अगस्त में जबकि अश्विन नवरात्र सितंबर-अक्टूबर में होते हैं। इसके इलावा फरवरी व जून में विशेष गुप्त नवरात्रों का आयोजन होता है।
गुप्त नवरात्र सिद्धि प्राप्त करने व पूजा पाठ, जप, तप के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। इन्हीं नवरात्र में बड़े-बड़े साधक यज्ञ अनुष्ठान करके मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। बताया जाता है कि गुप्त नवरात्र में किए जाने वाले जप में एक मंत्र का जाप करने से लाखों गुणा लाभ मिलता है।
पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हें मां ज्वालामुखी की पूजा पाठ की सेवा का सौभाग्य मिला है। मुगल काल से लेकर ब्रिटिश काल यहां तक कि युद्ध व आपातकाल के दौरे में भी इतना बुरा वक्त नहीं आया कि मंदिरों के कपाट बंद हुए हों, कोरोना के कारण व्यवस्थाएं हिली हैं।
गुप्त नवरात्र के दौरान मां का अनुष्ठान सरकार द्वारा तय नियमों का पालन करते हुए किया जाएगा। अष्टमी के अवसर पर मैया के जन्मदिवस पर भी सूक्ष्म आयोजन होगा। इस दिन मां की विशेष पूजा अर्चना के बाद हर दिन की तरह भोग लगाया जाएगा। कोरोना के कारण किसी तरह के भंडारे का मंदिर में कोई आयोजन नहीं होगा। -जगदीश शर्मा, मंदिर अधिकारी, ज्वालामुखी।