शब्द
शब्दों का कोई नाम नहीं
ये किसी के गुलाम नहीं
जब चाहे आ जायें मुख पे
इन पे कोई लगाम नहींइनकी रचना किसने की
लगे उसे कोई काम नहीं
कोई ना रोके टोके इनको
तभी फिरे सरेआम यूँ हीटकराकर बस गिर ही जायें
लगते नहीं ये जाम वहीं
लड़ कर मर कर जीते इनको
करते ये कत्लेआम यूँ हीहक़ अपना दिखलाते सबको
करें सभी को बदनाम यूँ ही
ये गर होते किसी के अपनें
लगते ना इनके दाम यूँ ही !!ज्योति उपाध्याय
Tags ज्योति उपाध्याय शब्द