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बढ़ी लाडलियों की चाह, बालिका जन्म दर में सुधार के साथ 1000 बालकों पर 832 से बढ़कर 880 हुईं बालिकाएं

• नेशनल फेमिली स्वास्थ्य सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों का दिखने लगा असर

औरैया। कन्या जन्म दर बढ़ाने के लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। अब इसके सकारात्मक नतीजे भी सामने आने लगे हैं। जनपद में बालकों की तुलना में बालिका जन्म दर का अंतर काफी कम हुआ है। पहले जहां बालकों की तुलना में बालिकाओं के जन्म का प्रतिशत कम रहता था, वहीं अब यह प्रतिशत बढ़ने लगा है।

नेशनल फेमिली स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस)-4 के आंकड़ों के मुताबिक औरैया जिले में 1000 बालकों पर 832 बालिकाएं जन्म लेती थीं। लेकिन एनएफएचएस-5 में इसमें सुधार हुआ। यह आंकड़ा बढ़कर 880 पहंुच गया। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 1000 बालकों पर बालिकाओं की औसत जन्म दर 914 है, जबकि देश में कन्या जन्म दर का औसत 929 है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि लोगों में जनसंख्या स्थिरीकरण और फैमिली प्लानिंग को लेकर जागरूकता आई है। इसके अलावा कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार ने भी कदम उठाए हैं। सोनोग्राफी सेंटर्स पर भी सख्ती की है। अवैध रूप से गर्भपात करने वाले स्थानों पर प्रशासन सख्ती से ऐसे काम काफी कम हुए हैं। हर सोनोग्राफी सेंटर पर मरीज का फार्म भरवाया जाता है। इसमें सभी जरुरी जानकारी रहती हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इनकी जांच और इनसे नियमित रिपोर्ट ली जाती है। गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। इसलिए बालक और बालिकाओं के लिंग अनुपात के बीच का अंतर घटा है। बालिकाओं के जन्म में बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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