सजेगी कलाई
आ गया रक्षाबंधन,
सजेगी कलाई!नेह की डोर से,
तू बांधेगी मुझको
तू ही बता आज,
क्या दूं मैं तुझको
दे सका है भला क्या?
कोई राखी का मोल
पर ख्वाहिश हो यदि कुछ,
तो निसंकोच बोल!आगे बढ़ाओ अब,
हाथ भाई!
आ गया रक्षाबंधन,
सजेगी कलाई!बहन भाई का है,
बड़ा पाक नाता
दर्शाने यही,
यह पर्व आता
सभी पर्व में है,
यह पर्व अद्भुत
सिवा प्यार के,
इस जलसे में ना कुछ!बहना की लूंगा प्रणय,
से बलाइ!
आ गया रक्षाबंधन,
सजेगी कलाई!बाजार सजा है,
राखियों और मिठाई से
असमंजस में है,
बहना क्या मांगे भाई से?
बांध दे जो प्रेम का
धागा तुम्हारे हाथ में,
जान तक लूटा दो उस
बहन के सम्मान में!कदम उठाओ बहन
की हो,
जिसमें भलाई!
आ गया रक्षाबंधन,
सजेगी कलाई!दिया नहीं जा सकता,
तोहफा इससे अच्छा
यदि करते हो बहन के,
आबरू की रक्षा
हर धर्म हर जाति,
की बहन को बहन माने
बहनों पर जुल्म ना हो,
हर शख्स यह ठाने!देता हूं सबको,
इस उत्सव की बधाई!
आ गया रक्षाबंधन,
सजेगी कलाई!
आ गया रक्षाबंधन,
सजेगी कलाई!!सुधांशु पांडे “निराला”
प्रयागराज
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