राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल महिला जागरूकता पर सदैव बल देती रही है। इसके लिए वह उनको प्रोत्साहित भी करती है। इस संदर्भ में उनका आकलन बिल्कुल सटीक है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपनी बीमारियों के विषय में अपने परिजनों,पति, पुत्र से भी चर्चा नहीं करती हैं। फलस्वरुप आरंभिक अवस्था में सरलता से होने वाले रोगों का उपचार गंभीर अवस्था में होता है। आनन्दी बेन पटेल ने बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने अनुभव साझा किए। उस समय उन्होंने
राज्य के बजट में तैतीस प्रतिशत राशि महिलाओं के लिए आवंटित कर दी थी। इस जेंडर बजट ने राज्य में पहली बार महिला केन्द्रित योजनाओं के निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ की थी। गुजरात में कैंसर सहित अन्य रोगों की शिविर लगाकर स्वास्थ्य जांच का कार्य किया गया था। इसमें डेढ़ करोड़ महिलाओं की जांच की गई,जिसमें से डेढ़ से दो हजार रोगियों में कैंसर रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाने से उनका समय पर उपचार हो गया।
राज्यपाल ने कहा कि महिलाएं अपनी बीमारी के प्रति संकोची है,वह दूर जाकर चिकित्सक से परामर्श लेने विशेषकर पुरुष चिकित्सक को दिखाने में संकोच करती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि तहसील अथवा दस गांवों के संकुल में महिला स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जायें। किशोरी बालिकाओं को रोगों, स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी जानकारी दिये जाने की जरुरत बताई। उन्होंने कहा कि ये बालिकाएं किसी परिवार की बेटी,भविष्य की बहू और माँ हैं। वे जागृत होंगी तो अपनी माँ, सास और परिजनों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान में सहयोगी होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रुप में शिक्षण संस्थाओं को एक अवसर मिला है, जिसमें समाज की वर्तमान चुनौतियों के समाधान और भविष्य की जरुरतों के अनुसार शिक्षण व्यवस्था में परिवर्तन किए जा सकते हैं।
उन्होंने शिक्षाविदों का आव्हान किया कि वे इस अवसर का लाभ उठाकर ऐसा शैक्षणिक पाठ्यक्रम तैयार करें, जिसमें महिलाओं के सशक्तीकरण की पहल हो। उसके परिणामों का अध्ययन कर, विस्तार के प्रयास करें। आनन्दी बेन पटेल ने ब्रेस्ट कैंसर एक्शन-डे पर आयोजित शिखर सम्मेलन वेबिनार को मुख्य अतिथि के रूप सम्बोधित किया। इस वेबिनार में मणिपुर की राज्यपाल डाॅ नजमा हेपतुल्ला भी शामिल हुई। उन्होंने कहा कि महिलाओं सशक्तीकरण के व्यापक प्रयासों की जरूरत है। महिलाओं समाज की सोच में बदलाव होना चाहिए। महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति उनके परिजनों के साथ ही बेटियों को भी जागरूक किया जाए। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए विशेष शिविरों का आयोजन करने के साथ ही,राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए किए जा रहे,कार्यों की जानकारी को दूरस्थ अंचलों में पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए।