Breaking News

विश्वव्यापी है रामलीला


श्री राम कथा के प्रति आस्था भारत तक सीमित नहीं है। विश्व के अनेक देशों में यह प्रचलित है। ऐसे सभी देशों की लोक संस्कृति में रामलीला का विशेष महत्व है। दुनिया के पैसठ देशों में रामकथा की प्रतिष्ठा है। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले इंडोनेशिया सहित दुनिया में कई देश भगवान श्री राम के नाम का वंदन करते हैं। रामायण इंडोनेशिया, कंबोडिया,  लाओस, मलेशिया, थाईलैंड, श्रीलंका और नेपाल में प्रसिद्ध और पूजनीय है। इंडोनेशिया के लोग तो कहते है कि उन्होंने उपासना पद्धति या मजहब बदला है,लेकिन अपने पूर्वज नहीं बदले है। कहा जाता है कि मानवीय क्षमता की सीमा होती है। वह अपने ही अगले पल की गारंटी नहीं ले सकता।

इसके विपरीत नारायण की कोई सीमा नहीं होती। वह जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, तब भी आदि से अंत तक कुछ भी उनसे छिपा नहीं रहता। वह अनजान बनकर अवतार का निर्वाह करते हैं। भविष्य की घटनाओं को देखते हैं, लेकिन प्रकट नहीं होते देते। इसी की उनकी लीला कहा जाता है। रामलीला इसी भाव की रोचक प्रस्तुति होती है। समय बदला, तकनीक बदली ,लेकिन सदियों से रामलीला की यात्रा जारी है। भारत ही नहीं, विश्व के पैंसठ देशों में रामलीला होती है। प्रत्येक स्थान की अपनी विशेषता होती है। रामलीला के भी अनगिनत रूप हैं। यह इंडोनेशिया,मलेशिया जैसे देशों में भी खूब प्रचलित है। वहां लोग मजहबी रूप से मुसलमान हैं ,लेकिन सांस्कृतिक रूप में अपने को श्री राम का वंशज मानते हैं।

यह मॉरीशस, त्रिनिदाद, फिजी आदि अनेक देशों में प्रचलित है, जहाँ भारतीय श्रमिक राम चरित मानस की छोटी प्रति को पूंजी के रूप में लेकर गए थे। रामलीला उनकी भावनाओं से जुड़ी रही। भारत में रामलीला के विविध रूप रंग हैं। लखनऊ में पिछले दिनों इस संबन्ध में चर्चा हुई। रामलीला की नौटंकी शैली पर विशेष रूप से विचार किया गया। भारत के सुदूर व वनवासी क्षेत्रों तक इसे देखा जा सकता है। रामायण एक अद्भुत ग्रंथ है। इसे लोग कथा, गीत, प्रवचन, कहानी तथा अन्य किसी न किसी रूप में प्रदर्शित कर आनन्दित होते हैं। राम कथा सुनना तथा देखना सागर में डुबकी लगाने जैसा होता है। विश्व की अनगिनत भाषाओं में राम कथा का लेखन हुआ है। रामलीला लोक नाटक का एक रूप है। यह गोस्वामी तुलसीदास की कृति रामचरितमानस पर आधारित है।

रामलीला का मंचन तुलसीदास के शिष्यों ने सबसे पहले किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि उस दौरान काशी नरेश ने रामनगर में रामलीला कराने का संकल्प लिया था,तभी से रामलीला का प्रचलन देशभर में शुरू हुआ। नृत्य की विभिन्न शैलियों में भी रामलीला होती है। इन सबका भाव एक है। लेकिन प्रस्तुति विधि अलग है। रामायण अद्भुत कथा है। श्री राम का व्यक्तित्व हिमालय से ऊंचा एवं समुद्र से भी अधिक गहराई लिये हुए है। इसे सभी ने अपने। अपने ढंग से व्यक्त किया है। पुरानी एवं विलुप्त होती संस्कृति के माध्यम से रामायण का मंचन एवं नाट्य द्वारा प्रस्तुतिकरण अत्यन्त अनुकरणीय है। यह आश्चर्य का विषय है कि इनकी कथाएं इण्डोनेशिया तथा थाइलैण्ड जैसे अन्य देशों में भी प्रचलित एवं लोकप्रिय हैं। यह नौटंकी एवं कथक का संगम दिखाने का अद्भुत प्रयास है। कला के माध्यम से जीवन में सम्मान एवं ऊंचाईयों को प्राप्त किया जा सकता है। श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे। उनकी कथा का मंचन मनोरंजन के साथ ही प्रेरणादायक होता है।

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

About Samar Saleel

Check Also

‘अपनी इच्छापूर्ति के लिए गलत रास्ता चुना’, बच्चा चोरी के आरोपी समलैंगिक जोड़े को हाईकोर्ट से जमानत

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में बच्चा चोरी के मामले में एक समलैंगिक जोड़े ...