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देश भर में 9 नवम्बर की आधी रात से 30 नवम्बर तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने कोरोना संकट के दौरान सोमवार आधी रात से 30 नवम्बर तक देश भर में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दिया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछले 05 नवम्बर को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

एनजीटी ने कहा कि जिन शहरों की वायु प्रदूषण की क्वालिटी मॉडरेट या उससे नीचे की रहेगी वहां राज्य सरकारें दीपावली छठ आदि पर्व के दौरान ग्रीन पटाखों के बेचने की अनुमति दे सकती हैं और इन पटाखों के इस्तेमाल के लिए 02 घंटे का समय नियत कर सकती हैं.

एनजीटी ने कहा कि अगर आज आज सरकार है कोई दिशा निर्देश जारी नहीं करती है तो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के दिशा निर्देशों के मुताबिक पटाखों के इस्तेमाल का समय दीपावली और गुरु पर्व पर रात का 08 बजे से 10 बजे तक और छठ में सुबह 4 बजे से 6 बजे तक रहेगा. क्रिसमस के समय रात को 11 बजकर 55 मिनट से साढ़े 12 बजे तक पटाखे के इस्तेमाल की इजाजत होगी.

पिछले 04 नवम्बर को एनजीटी ने 23 राज्यों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों नहीं उनके राज्यों में भी ओडिशा और राजस्थान की तरह पटाखों पर रोक लगा दिया जाए. एनजीटी ने जिन राज्यों को नोटिस जारी किया था उनमें आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा,पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल है. इन राज्यों के 122 शहरों में वायु प्रदूषण तय सीमा से काफी ज्यादा है.

एनजीटी ने पाया था कि ओडिशा, राजस्थान समेत कई राज्य सरकारों ने बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पटाखों पर रोक लगाने का फैसला किया है. ओडिशा में दस नवंबर से 30 नवम्बर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. राजस्थान सरकार ने किसी भी तरह के पटाखे के बेचने औऱ उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दिया है. राजस्थान सरकार ने पटाखे बेचनेवाले पर दस हजार रुपये जबकि पटाखे फोड़नेवाले पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है.

एनजीटी ने भोपाल एनजीटी के बेंच में पटाखे पर रोक के लिए दायर याचिका को भी अपने यहां ट्रांसफर कर लिया था.

पिछले 02 नवम्बर को एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या 7 से 30 नवंबर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाया जा सकता है. एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान के अलावा दिल्ली पुलिस के कमिश्नर , केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया

याचिका इंडियन सोशल रिस्पांसिबिलिटी नेटवर्क की ओर से संतोष गुप्ता ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा और गंभीर होने की संभावना है. इसलिए दिल्ली एनसीआर में पटाखा जलाए जाने पर रोक के लिए कदम उठाया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया था कि ग्रीन पटाखे मौजूदा समस्या का हल नहीं है.

याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का जिक्र किया गया था जिसमें कहा गया था त्योहारों के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है. कोरोना के केस दिल्ली में रोजाना 15 हजार तक जा सकते हैं जो कि फिलहाल पांच हजार रोजाना आ रहे हैं. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर गौर किया है जिसमें वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की बात की गई है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना की स्थिति पर गौर नहीं किया है. स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए और खराब हो सकती है.

एनजीटी ने कहा कि जो रिपोर्ट आ रही है उसके मुताबिक दिल्ली में वायु की गुणवत्ता और खराब हो सकती है और कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 410 से 450 के बीच है जो काफी खतरनाक है. इस स्थिति में सांस लेने में तकलीफ, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दूसरी बीमारियां हो सकती हैं. विशेषज्ञों की राय के मुताबिक वायु प्रदुषण और कोरोना का गहरा संबंध है और वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना के बढ़ने का भी खतरा ज्यादा है. एनजीटी ने इस मामले पर मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील राज पंजवानी और शिवानी घोष को एमिकस क्युरी नियुक्त किया था.

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