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Christmas: क्या आप जानते हैं दुनिया के पहले ‘सांता क्लॉज’ का रहस्य ?

भारत देश तमाम संस्कृतियों को अपने अंदर संजोए हुए है. यहां पर अनेक धर्मों के लोग रहते हैं. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन, और इनके अलग-अलग त्योहार हैं जो साल भर मनाए जाते हैं. एक त्योहार खत्म होता है तो दूसरा दस्तक दे देता है. इन त्योहारों को सभी धर्मों के लोग पूरे जश्न के साथ मनाते हैं. दिसंबर का महीना खत्म हो जाने को है और नया साल भी दस्तक देने वाला है.

ऐसे में नए साल से पहले मनाया जाने वाला त्योहार क्रिसमस को आने में बस कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में इस त्योहार को लेकर लोगों के अंदर जबरदस्त उत्साह है. लोग त्योहार को लेकर बाजारों में खरीदारी के लिए निकल पड़े हैं. क्रिसमस ट्री से लेकर लोगों को देने वाले तोहफों भी खरीद रहे हैं. इसके साथ ही सांता क्लॉज बनकर बच्चों को तोहफे बांटते हैं.

क्रिसमस का त्योहार खूब धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि, इस दिन यानी कि, 25 दिसंबर को प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. इस दिन को ईसाई धर्म से जुड़े लोग प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाते हैं और गरीब बच्चों को तोहफे से लेकर अन्य मदद भी करते हैं. इस दिन लोग घरों को शानदार तरीके से सजाते हैं और केक बनाकर लोगों में बांटते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि, इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है. दरअसल कहा जाता है कि, एक बार ईश्वर ने गैब्रियल नामक अपने एक दूत को मैरी नाम की युवती के पास भेजा और युवती से कहा कि, उसे ईश्वर के एक पुत्र को जन्म देना है. यह बात सुनकर युवती चौंक गई क्योंकि अभी उसकी शादी नहीं हुई थी और वो कुंवारी थी. ऐसे में उसने पूछा ये कैसे संभव हो सकता है क्योंकि अभी तक उसकी शादी नहीं हुई है.

जिसपर गैब्रियल ने कहा कि, ईश्वर सब ठीक कर देगा. कुछ दिन बाद मैरी की शादी जोसेफ नाम के युवक के साथ हुई. भगवान के दूत गैब्रियल जोसेफ के सपने में आए और उससे कहा कि, जल्द ही उनकी पत्नी मैरी गर्भवती होगी और उसका खास ध्यान रखना होगा. क्योंकि उसकी होने वाली संतान कोई और नहीं बल्कि खुद प्रभु यीशु हैं.

जब ये सब हो रहा था उस समय जोसेफ और मैरी इजरायल के नाजरथ में थे. उस समय नाजरथ रोमन का साम्राज्य हुआ करता था. एक बार किसी कारण से जोसेफ और मैरी बैथलेहम, जोकि इस समय फिलस्तीन में है, में किसी काम से गए, उन दिनों वहां बहुत से लोग आए हुए थे जिस कारण सभी धर्मशालाएं और शरणालय भरे हुए थे जिससे जोसेफ और मैरी को अपने लिए शरण नहीं मिल पाई.

काफी थक−हारने के बाद उन दोनों को एक अस्तबल में जगह मिली और उसी स्थान पर आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म हुआ. अस्तबल के निकट कुछ गडरिए अपनी भेड़ें चरा रहे थे, वहां ईश्वर के दूत प्रकट हुए और उन गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म लेने की जानकारी दी. गडरिए उस नवजात शिशु के पास गए और उसे नमन किया.

वहीं सांता क्लॉज के बारे में कहा जाता है कि, प्रभु यीशु की मृत्यु के करीब 280 साल बाद सांता क्लॉज का जन्म हुआ था. सांता निकोलस  ने अपना पूरा जीवन यीशु को समर्पित कर दिया था. सांता क्लॉज हर साल प्रभु यीशु का जन्म मनाते थे और अंधेरे में जाकर बच्चों को तोहफे दिया करते थे. तभी से ये चलन शुरू हो गया और आज भी लोग सांता क्लॉज बनकर बच्चों को तोहफे बांटते हैं.

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