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किसान कल्याण पर योगी की बढ़त

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

किसानों के नाम पर चल रहे आंदोलन की असलियत अब सामने आ रही है। अपने को चर्चा में बनाये रखने को आंदोलन के नेता पश्चिम बंगाल कूच कर रहे है। इस पैतरे से इस आंदोलन का राजनीतिक एजेंडा सामने आ गया है। आंदोलन के नेता भाजपा के विरुद्ध चुनाव प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल गए है।

लेकिन बिडंबना देखिए यहां ये नेता किसानों का मुद्दा उठाने की स्थिति में ही नहीं है। क्योंकि जिसके पक्ष में वह प्रचार के लिए आये है,उनका किसान कार्यवृत्त दयनीय है। दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ वर्तमान केंद्र व प्रदेश सरकार के समय किये गए किसान कल्याण के कार्यों को गिना रहे है। अपनी सरकार के चार वर्ष पूरे होने के अवसर पर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया था।

गोरखपुर में भी उन्होंने किसानों के नाम पर चल रहे आंदोलन को निशाने पर लिया। कहा कि कृषि कानून में मंडियां बंद नहीं होंगी,बल्कि मंडियां एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए खड़ी हो रही हैं। कानून लागू होने कर बाद से अब तक एक भी मंडी बंद नहीं हुई, इतना ही नहीं मंडियों को वन नेशन,वन मार्केट की तर्ज पर जोड़ने का कार्य हो रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा चार वर्ष के कार्यकाल में सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना मूल्य भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में किया गया है।

प्रदेश सरकार ने चार वर्ष में बीस लंबित परियोजनाओं को पूरा करने का कार्य शुरू किया है। नौ परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं,ग्यारह परियोजनाएं इस वित्तीय वर्ष में पूरी होंगी। बीस लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान हो सकेगी। विगत वर्ष छप्पन लाख मी टन धान की खरीद की गयी थी।

इस वर्ष उनहत्तर लाख मी टन धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हुई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकांश चीनी मिलें बन्द हो गयी थीं। सरकार बनने के बाद से चीनी मिलों को पुनः संचालित कराया गया। गोरखपुर में पिपराइच चीनी मिल संचालित की गयी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत दो करोड़ बयालीस लाख किसानों को लगभग सत्ताईस हजार करोड़ रुपये उनके खातों में भेजे गये। किसानों की सहायता हेतु प्रदेश के सभी जिले में एक अथवा दो कृषि विज्ञान केन्द्र कार्य कर रहे हैं। जो किसानों को शासन की विभिन्न योजनाएं एवं तकनीक का लाभ प्रदान करने में सहयोग कर रहे हैं।

किसानों की लागत कम करके उनकी आय बढ़ाने के प्रयास चल रहे है। मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में किसानों के लिए बीस करोड़ रुपये की लागत से एक छात्रावास एवं राजकीय कृषि विद्यालय के नवीन प्रशासनिक भवन का भी शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि किसी किसान के उत्पाद पर मंडी शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन मंडी अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा किसान कल्याण के लिए सीधे खर्च करता है। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से वह पैसा किसान कल्याण के लिए ही खर्च होता है।

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