आज चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर पहुंचते ही मुझे हाँक लगाई। बहुत अच्छे पड़ोसी एवं प्रपंची होने के नाते मैं झट से चबूतरे पर पहुंच गया। चतुरी चाचा काफी प्रसन्न मुद्रा में थे। चतुरी चाचा बोले- रिपोर्टर, काल्हि याक नई बाति मालूम भई। हमार पोती चंदू रातिमा बताइस कि हमार प्रपंच तमाम पत्र-पत्रिका अउ न्यूज पोर्टल्स मा प्रकाशित होय रहा। हर हफ्ता लोग बड़े चाव ते यहिका पढ़त हयँ। बताव साल पूर होय गवा अउ हम पंचन का ई बाति का इल्म नाई भवा। तुम गुटूर-गुटूर सुनिके सारा प्रपंच छापत रहेव। हम लोगन का बतइब नाय किहौ। बताये होतु तौ हम पंच सब पत्रकारन क्यार धन्यवाद करित।
इसी बीच पहली बार ककुवा, बड़के दद्दा, मुंशीजी व कासिम चचा चारों एक साथ चबूतरे पर आए। राम जोहारि के बाद सबने अपना स्थान ग्रहण कर लिया। चतुरी चाचा ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा- वैसे तो हम लोग जमाने से पँचायत करते आ रहे थे। परंतु, पिछले साल 12 जनवरी को विवेकानंद जयन्ती के अवसर पर इस प्रपंच चबूतरे की शुरुआत हुई थी। हर रविवार होने वाली इस बतकही को एक वर्ष हो गया। इस खुशी में आज तुम लोगों को देसी घी के साथ फरा और देसी मिठाई ‘गुड़’ खिलाएंगे।
इस पर बड़के दद्दा बोले- चतुरी चाचा, इस प्रपंच को अपने पत्रकार भैया अनेकानेक अखबारों और पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाते हैं। यूपी में ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में अपना प्रपंच खूब पढ़ा जाता है। अब नेपाल में भी यह प्रपंच प्रकाशित होने लगा है। इस प्रपंच को हजारों लोगों तक पहुंचाने वाले सभी पत्रकार बंधुओं को हम सबकी तरफ से धन्यवाद एवं आभार पहुँचे!
ककुवा बड़े उत्साह से बोले- यह बाति तौ बड़ी नीक हय। हम लोगन केरी निगाह मा हन। हम परपंचिन का बतखाव लोग पसन्द कय रहे। नइकी पीढ़ी अवधी भासा, संस्कृति, रीति-रिवाज अउ व्यंजनन ते अवगत होय रही हय। रिपोर्टर भइय्या, युहु बताव कि हम सबकी बातैं कौने-कौने अख़बार मा छापत हौ?
हमने कहा-ककुवा, यह प्रपंच उत्तर प्रदेश के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता है। मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड राज्य में कुछ पत्र-पत्रिकाएं यह प्रपंच छापती हैं। वहीं, करीब एक दर्जन न्यूज़ पोर्टल्स भी चतुरी चाचा का प्रपंच प्रकाशित करते हैं। किसी को अवधी भासा बहुत अच्छी लगती है तो किसी को अवधी व्यंजन। कुल मिलाकर यह प्रपंच धीरे-धीरे काफी लोकप्रिय होता जा रहा है।
इसी बीच चंदू बिटिया और उसकी चचेरी बहन भूमि दो बड़ी ट्रे में गुनगुना नींबू पानी, गुड़, फरे, देसी घी व कुल्हड़ वाली चाय लेकर आ गईं। हम लोगों ने गुड़ खाकर पानी पीया। फिर देसी घी के साथ फरों का स्वाद लिया। इसके बाद चाय के साथ बतकही शुरू हुई। कासिम चचा ने कहा- चतुरी भैया इतना स्वादिष्ट गुड़ कहाँ से मंगवाया है। इसमें मूंगफली के दाने, छुहारा और काजू भी पड़े हैं। तब चतुरी चाचा ने बताया- कल हमरे लखीमपुर वाले समधी दो पारी गुड़ बनवाकर लाए थे। वह हर साल खाने के लिए अपना मेवा-मंगफली वाला स्पेशल गुड़ बनवाते हैं। हमारे समधी हर साल जाड़े में गुड़ और गर्मी में राब व सिरका दे जाते हैं।
मुंशीजी ने प्रपंच को किसान आंदोलन की तरफ मोड़ते हुए कहा- दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 46 दिनों से किसान डेरा डाले हैं। सरकार और किसान नेताओं के मध्य नौ बार वार्ता हो चुकी है। परंतु, अभी तक कोई हल नहीं निकला। आंदोलन कर रहे किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। किसान एमएसपी गारंटी कानून अलग से चाहते हैं। बिजली व पराली सहित कुछ अन्य समस्याओं का समाधान भी चाहते हैं। उधर, केंद्र सरकार की भी हठ है कि नए कृषि कानून रद्द नहीं करेगी। किसानों की हर जायज मांग स्वीकार है। सरकार कृषि कानूनों में संशोधन को तैयार है। दोनों पक्षों की हठधर्मिता के चलते किसान आंदोलन खत्म नहीं हो पा रहा है। विपक्षी दल आंदोलनरत किसानों को बरगलाने में जुटे हैं। अब सबकी नजर उच्च न्यायालय की तरफ है।
कासिम चचा ने कहा- लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का हक है। हर पीड़ित पक्ष को धरना, प्रदर्शन, अनशन, आंदोलन करने, रैली निकलने व बन्द बुलाने का अधिकार है। बस, विरोध प्रदर्शन में अराजकता, आगजनी और हिंसा नहीं करनी चाहिए। अब देखो न दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में क्या हुआ। पराजित राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों ने वहां की संसद पर चढ़ाई कर दी थी। विगत 6 जनवरी को ट्रम्प समर्थकों ने कोहराम मचा दिया। कार्यकाल के अंत में ट्रम्प ने पूरी दुनिया में अपनी बेइज्जती करवा ली।इस हिंसक प्रदर्शन में पांच लोगों की मौत भी हो गई। इसी तरह कुछ नकारात्मक सोच के लोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में भी विरोध प्रदर्शन के नाम पर हर बार अराजकता करते हैं। यह सब किसी भी लोकतंत्र के लिए घातक है।
अंत में चतुरी चाचा ने हमसे कोरोना अपडेट देने को कहा। हमने पंचों को बताया कि भारत में कोरोना के नए स्ट्रेन के 90 से अधिक मरीज हो गए हैं। वहीं, दो कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड व कोवैक्सिन तैयार हैं। भारत के वैज्ञानिकों ने कोरोना की एक नहीं दो वैक्सीन बनाकर इतिहास रच दिया है। मकर संक्रांति के बाद पहले चरण का टीकाकरण शुरू हो जाएगा। विश्व के कई देशों में पहले से ही अलग-अलग तरह की वैक्सीन लगाई जा रही है। विश्व में अब तक आठ करोड़ 81 लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। दुनिया में अब तक 19 लाख कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है। भारत में अभी तक एक करोड़ 41 लाख तीन हजार से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। यहाँ अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा लोग कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। आप सभी को मकर संक्रांति/लोहड़ी की बधाई एवं शुभकामनाएं! मैं अगले रविवार को एक बार फिर चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर हाजिर रहूँगा। तब तक लिए पँचव राम-राम!