राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल का दीक्षांत समारोह में सम्बोधन सदैव शिक्षाप्रद होता है। वह स्वयं आदर्श शिक्षिका रही है। आज कुलाधिपति के रूप में भी वह इसी भूमिका में दिखाई देती है। विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों का वह भविष्य के लिए बेहतर मार्गदर्शन करती है। यह बताती है कि डिग्री प्राप्त कर लेना ही महत्वपूर्ण नहीं होता। बल्कि समाज के प्रति अपने दायित्व के प्रति भी सजग रहना चाहिए। तभी शिक्षा व ज्ञान फलीभूत होता है।
एपीजे अब्दुल कलाम प्रावधिक विश्वविद्यालय में भी आनन्दी बेन पटेल ने विद्यार्थियों को समय के अनुकूल दीक्षांत सन्देश दिया। कोरोना आपदा को अवसर में बदलने का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था। इसके लिए उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान का शुभारंभ किया था। आनन्दी बेन ने इसी संदर्भ में कहा कि जब हम तकनीक के क्षेत्र में कुछ बेहतर और नया करेंगे तभी हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ेंगे। विश्व के तेजी से बदलते दौर में आत्मनिर्भरता का महत्व बढ़ गया है।
स्वदेशी के क्षेत्र में रचनात्मक कार्य की बहुत सम्भावनाएं हैं। इस दृष्टि से हमारे तकनीकी विश्वविद्यालय केवल शोध और डिग्री बांटने का ही कार्य न करें, बल्कि कौशल विकास पर भी ध्यान दें। कौशल विकास का मतलब है कि युवाओं को हुनरमंद बनाने के साथ उन्हें बाजार के अनुरूप तैयार करना।
इसके साथ ही पूरे भारत में महिलाओं को आगे लाने,सशक्त करने तथा आत्मनिर्भर बनाने का कार्य भी शिक्षण संस्थाओं का है। इन प्रयासों को कारगर करने में स्वयं सहायता समूहों का विशेष महत्व है,जिनके माध्यम से महिलाएं आगे बढ़ रही हैं तथा आत्मनिर्भर बन रही हैं। शिक्षण संस्थाओं का दायित्व बनता है कि उनके लिये विशेष प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार किये जाने चाहिये, जो ग्रामीण गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने मे सक्रिय सहयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाएं विशेष प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार करें,जो ग्रामीण गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने मे सक्रिय सहयोग कर सकें।
सामाजिक सरोकार
शिक्षा सामाजिक सरोकार के साथ ही सार्थक होती है। कुलाधिपति ने कहा कि डिग्री लेने वाले विद्यार्थी ग्रामीण गरीब महिलाओं, कुपोषित बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य आसानी से कर सकते हैं। उनको गांव के समग्र विकास का हिस्सा बनें और अपना योगदान देंना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिये विश्वविद्यालयों में विस्तृत चर्चा होनी चाहिये,क्या करें,क्यों करें और कैसे करें,इस पर गहन विचार विमर्श होना चाहिए। इससे विकास का रास्ता खुलेगा तथा शिक्षा एवं तकनीक का प्रयोग करते हुये भी अनेक स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को सामाजिक सरोकारों से जुड़े पहलुओं की शिक्षा भी बच्चों को दी जानी चाहिए।
ग्रामोन्मुखी विचार
राज्यपाल ने गांवों के विकास को महत्वपूर्ण बताया। भारत की समाज व अर्थव्यवस्था में गांवों का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा आत्मनिर्भरता आत्मसम्मान से जुड़ी है। यह स्वावलम्बन से संभव होगा। यह देश साढ़े छः लाख गांवों का है। विद्यार्थियों को ग्रामोन्मुखी बनना चाहिए। गांव ही देश के पैर हैं इन्हें मजबूत करना है।
गांव के समग्र विकास का हिस्सा बनना चाहिए। इसी के साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। कोरोना के समय सभी वर्गों को जो सबसे सुरक्षित जगह लगी वह भी हमारा घर और हमारा गांव। इसलिए अपनी समृद्धि के साथ अपने गांव गिरांव को जोड़ना आवश्यक है।