सयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में बन रहे पहले हिन्दू मंदिर का कार्य बेहद तेज गति से चल रहा है। मंदिर में भारत की दस हजार वर्ष प्राचीन कला, वास्तुकला एवं संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। जिसको राजस्थान के दो हजार मूर्तिकार अपने हाथों से बलुआ पत्थर और संगमरमर पर उकरने में जुटे हुए हैं। मूर्तिकार पत्थरों पर हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियों के साथ प्रचलित कथाओं को भी उकेरेंगे।
पहले चरण में मंदिर और इसके आगंतुक केंद्र की 2023 तक खुलने की है उम्मीद
भारतीय विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार मंदिर का निर्माण कार्य ‘बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था’ के मार्गदर्शन में चल रहा है। जिसमें हजारों की संख्या में यूएई और भारत के कारीगर काम कर रहे हैं। पारंपरिक मंदिर की संरचना वास्तुकला के अनुरूप स्टील और लोहे के बिना बनाई जा रही है। इसके बाहरी हिस्से में राजस्थान का गुलाबी बलुआ पत्थर और आंतरिक में सफेद इटालियन मार्बल लगाए जाएंगे। इस साल के अंत तक मंदिर आकार लेना शुरू कर देगा। पहले चरण में मंदिर और इसके आगंतुक केंद्र के 2023 तक खुलने की उम्मीद है।
55,000 वर्ग मीटर में फैले विशाल मंदिर परिसर में एक बड़ा एम्फीथिएटर, एक गैलरी, एक पुस्तकालय, एक फूड कोर्ट, एक सभागार और 5,000 लोगों के लिए दो सामुदायिक हॉल होंगे। इसके साथ ही इसमें उद्यान और बच्चों के खेलने के जगह भी होगी। इसके अलावा 53,000 वर्ग मीटर अतिरिक्त जगह का आवंटन किया गया है। जिसमें दो हेलीपैड, 1200 कारों और 30 बसों की पार्किंग की व्यवस्था रहेगी।
बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के सदस्य प्रणव देसाई ने कहा कि ”मंदिर का एक और आकर्षण इसकी सात मीनारे होंगी जो यूएई के सात अमीरों का प्रतिनिधित्व करेंगी। मंदिर की प्रत्येक मीनार में विभिन्न देवी-देवताओं से जुड़ी कहानियां होंगी। मंदिर के अग्र भाग, दीवारों और सीढ़ियों पर दुनिया भर के विभिन्न देशों की सांस्कृतिक और नैतिक कहानियों को चित्रित किया जाएगा।”