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शून्य लागत खेती से होगी पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा

लखनऊ। शून्य लागत खेती से हम उत्पादन बढ़ा सकते हैं। हमें दोगुना यानी 50 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन करना है यदि अंधाधुंध शहरीकरण और औद्योगीकरण हुआ तो भूमि घटती जाएगी और एक दिन हमें फिर खाद्यान्न के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ सकता है।

शून्य लागत खेती प्रशिक्षण:-

  • यह बात शून्य लागत खेती प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन पदम श्री सुभाष पालेकर ने कहीं ।
  • उन्होंने कहा कि हमें नौजवानों को खेती की ओर ले जाना है।
  • यह तभी संभव है जब युवाओं की आवश्यकताएं खेती से पूरी हों।
  • इसके लिए प्राकृतिक खेती सर्वाधिक बेहतर माध्यम है।
  • इस पर बड़े पैमाने पर प्रयास की जरूरत है।
  • इससे जहां पर्यावरण की रक्षा होगी वहीं लोगों का चिकित्सा पर खर्च बंद हो जाएगा।
  • आज बड़ी बड़ी डिग्री लेकर लोग बेरोजगार हैं।
  • उन्हें गांव की ओर ले जाने का प्रयास करना बहुत जरूरी है।
  • श्री पालेकर ने कहा कि अगला विश्व युद्ध मीठे पानी के लिए हो तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
  • प्राकृतिक खेती से सिंचाई का 90 फीसदी पानी बचाया जा सकता है।
  • देश का पैसा देश में ही रहेगा विदेश नहीं जाएगा।
  • हम एक साथ एक सब्जी मक्का,लोबिया और गेंदे के फूल की खेती कर सकते हैं।
  • अभी हम एक ही प्रकार की खेती करते हैं ज्यादा से ज्यादा दो फसलों की करते हैं।
  • जब हम चार फसलें लेंगे तो खेती का एटीएम काम करने लगेगा।
  • किसान बराबर पैसा पैदा करता रहेगा,जब गांव में ही पैसा पैदा होने लगेगा तो शहर कोई क्यों जाएगा।
  • इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भी मौजूद थी।
  • इस मौके पर वसुंधरा व डिप्टी डायरेक्टर डीपी सिंह ने भी कृषि प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया।
  • प्रशिक्षण शिविर में मुख्य रूप से लोक भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री विजेंद्र पाल सिंह,कार्यक्रम संयोजक पवन सिंह चौहान,शिविर समन्वयक महेश मिश्र,प्राकृतिक कृषि अभियान समन्वयक गोपाल उपाध्याय, प्रचार प्रमुख शेखर त्रिपाठी, पंजीकरण प्रमुख पार्थ प्रतिम,कार्यक्रम के सह संयोजक धर्मेंद्र सिंह, संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण चौधरी प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

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