भारतीय संस्कृति की सांस्कृतिक संगीत विरासत अत्यंत समृद्ध है। इसमें नाद ब्रह्म का अविष्कार है। परम् सत्ता तक पहुंचने की साधना का समावेश है। इस लक्ष्य तक पहुंचने के विविध मार्ग है,संगीत की विविधता है,इसका अपना सौंदर्य बोध है,इन सबके बीच एकात्मकता का भाव भी है। सभी प्रहर,सभी मौसमों के अनुरूप राग रागनी है।
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने भी कहा कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान,विज्ञान,कला और संगीत की अमूल्य विरासत निहित है। जिसमें शिक्षा की महती भूमिका है। शिक्षा व्यक्ति को संस्कारित करते हुए उसमें नैतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्तियों का उचित समावेश कर उसके भावी जीवन को समुन्नत एवं समृद्ध करती है। उन्होंने कहा कि संगीत एक साधना है। उत्तर प्रदेश की संगीत परम्परा न केवल प्राचीनतम है, बल्कि सबसे अधिक समृद्ध रही है।
यहां शास्त्रीय और भक्ति संगीत के साथ ही लोक संगीत का प्रचुर खजाना मौजूद है। राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने पूर्वजों से मिली सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में कार्य करना चाहिए। इसके साथ ही हमें नई पीढ़ी के मन में भारतीय संस्कृति,भारतीय संगीत एवं भारतीय कला के प्रति सम्मान पैदा करने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें संगीत व नृत्य सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय लखनऊ के दसवें दीक्षान्त समारोह को संबोधित किया।
भारतीय संगीत की अलख
भारत का शास्त्रीय संगीत दुनिया में प्रसिद्ध है। अनेक भारतीय कलाकार विदेशों में भी बहुत लोकप्रिय है। राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी का सपना होता है कि वह अपने शैक्षिक संस्थान के उच्चतम सोपान पर स्वयं को अभिषिक्त होता हुआ देख सके। इसीलिये वह शैक्षिक गतिविधियों, पठन पाठन एवं शोध के यथावश्यक कार्यों में स्वयं को प्राण पण से सन्नद्ध कर देता है। उसका प्रथम लक्ष्य डिग्री उपाधि प्राप्त करना और द्वितीय लक्ष्य उस योग्यता के आधार पर जीवन के आगामी लक्ष्य की सम्पूर्ति करना होता है। उन्होंने कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले बच्चे शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेकर प्रदेश ही नहीं,बल्कि देश-विदेश में संगीत की अलख जगाने का कार्य करेंगे।
लोक संगीत की विरासत
आनन्दी बेन ने कहा कि उत्तर प्रदेश की संगीत परम्परा न केवल प्राचीनतम है,बल्कि सबसे अधिक समृद्ध रही है। यहां शास्त्रीय और भक्ति संगीत के साथ ही लोक संगीत का प्रचुर खजाना मौजूद है। हमें अपने पूर्वजों से मिली सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में कार्य करना चाहिए। इसके साथ ही हमें नई पीढ़ी के मन में भारतीय संस्कृति,भारतीय संगीत एवं भारतीय कला के प्रति सम्मान पैदा करने का प्रयास करना चाहिए तथा उन्हें संगीत व नृत्य सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
नई शिक्षा नीति में संस्कृति
राज्यपाल ने कहा कि हर शिक्षार्थी कुछ न कुछ बनना चाहता है। इसीलिए नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार सत्तर प्रतिशत पाठ्यक्रम दिया जायेगा जबकि तीस प्रतिशत पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्तर पर तैयार करना होगा,ताकि विद्यार्थियों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा प्रदान की जा सके। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने विद्यार्थियों का समय समय पर चिकित्सीय परीक्षण कराना चाहिए। इस अवसर राज्यपाल ने स्मारिका का विमोचन भी किया। विश्वविद्यालय द्वारा आमंत्रित किये गये स्कूली बच्चों को राज्यपाल ने बैग, पुस्तक,फल आदि दिये।