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अमृत महोत्सव में जन सहभागिता

डॉ दिलीप अग्निहोत्रीभारत के स्वतन्त्रता संग्राम अपने में विलक्षण था। जिसने दुनिया को नई वैचारिक दिशा प्रदान की। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से अनेक देशों ने प्रेरणा ली। अंततः उनको भी स्वतन्त्रता हासिल हुई। हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने स्वतन्त्रता संग्राम में जन सहभागिता को महत्व दिया।

सभी आंदोलनों में उस समय आमजन सहभागी थी। क्रांतिकारी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के भी यही उद्देश्य था। उनका कहना था देश के लिए जीवन का बलिदान ही लोगों को जागरूक बनाएगा। स्वतन्त्रता की पछहत्तरवीं वर्षगांठ पर आयोजित अमृत महोत्सव का यही उद्देश्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा Freedom Struggle,Ideas at 75, Achievements at 75, Actions at 75 और Resolves at 75 ये पांचों स्तम्भ आज़ादी की लड़ाई के साथ साथ आज़ाद भारत के सपनों और कर्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।

सभी तिथियों पर आयोजन

काकोरी में अमृत महोत्सव आयोजन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आजादी के आन्दोलन की जितनी भी तिथियां हैं,अगले एक वर्ष के दौरान प्रत्येक घटना की स्मृति में हर शहीद स्मारक पर प्रदेश सरकार के स्तर पर जनसहभागिता के साथ आजादी के ज्ञात व अज्ञात शहीदों के स्मरण हेतु कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि यह आजादी अचानक नहीं मिली है। आजादी के लिए काफी संघर्ष किया गया है। उस समय की युवा पीढ़ी ने अपना बलिदान दिया। माताओं और बहनों ने आजादी के आन्दोलन से जुड़कर एक नयी दिशा देने का कार्य किया।

एक भारत श्रेष्ठ भारत

स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के त्याग बलिदान से देश आजाद हुआ। अमृत महोत्सव उन सभी के प्रति सम्मान है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए पच्चीस वर्ष की उस कार्ययोजना को मूर्तरूप दें,जिससे आजादी के सौ वर्ष पूर्ण होने पर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना साकार हो सके।

उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के नायक शहीद रामप्रसाद बिस्मिल,राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी,चन्द्रशेखर आजाद,रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि भारत की जनता के पैसों का इस्तेमाल भारतीयों के दमन के लिये किया जा रहा था। तब आजादी के इन शूरवीरों ने काकोरी की घटना को अंजाम देकर अंग्रेज हुकूमत को चुनौती दी थी।

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