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लोक कला संवर्धन का निर्मला सम्मान

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भारत में लोक कलाओं की अद्भुत व विलक्षण धरोहर है। लोक कलाओं की ऐसी विविधता दुनिया के किसी देश में नहीं है। इनके रंग रूप स्वरूप धुन ताल लय अलग है,लेकिन उत्सव धर्मिता एक जैसी है। यही भारत को एक सूत्र में पिरोने वाली है। जीवन के सभी सुखद संस्कार लोक कला से सजाएं जाते है। आधुनिकता के दौर ने बहुत कुछ बदल दिया है। अब सोहर बन्ना बन्नी ढोलक मंजीरे की धमक फीकी पड़ गई।

इसकी जगह लेडीज संगीत और डीजे का हंगामा आ गया। इस दौर में भी अनेक कलाकार लोक संगीत की अलख जगाए हुए है। देश की प्रतिष्ठित गायिका मालिनी अवस्थी लोक संगीत को पुनः मुख्य धारा में पहुंचाने का अभियान चला रही है। वह सोनचिरैया संस्था के माध्यम से यह कार्य प्रभावी ढंग से आगे बढ़ रहा है। वह आपने सभी कार्यक्रमों के माध्यम से भी लोक संगीत को लोकप्रिय बनाने की प्रेरणा देती है।

खासतौर पर नई पीढ़ी के लोगों को इससे जोड़ने पर बल देती है। उन्हें यह बात परेशान करती है कि युवा पीढ़ी स्थानीय पहचान वाले भजन सोहर,विवाह गीत बन्नबन्नी बिरहा,चैता कजरी आदि को भूलते जा रहे है। चिरैया के से इस प्रकार के आकर्षक समारोह आयोजित किये जाते है। मालिनी अवस्थी ने बताया कि सोन चिरैया लोक संस्कृति के संवर्धन में उल्लेखनीय योगदान दे रही है। पन्द्रह मार्च को लखनऊ में सोनचिरैया द्वारा सम्मान व लोक संस्कृति समारोह का आयोजन किया जाता है। सोन चिरैया का पहला लोक निर्मला सम्मान पद्मविभूषण तीजनबाई को प्रदान किया गया।

मालिनी अवस्थी कहती है कि राष्ट्रीय स्तर पर निजी संस्था की ओर से लोक कला के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह सबसे बड़ा सम्मान है। इसमें सम्मान के स्वरूप एक लाख रुपए प्रदान किये गए। मालिनी अवस्थी ने कहा कि इस आयोजन से देश की ऐसी महिला लोककलाकारों को सम्मानित करने की कामना है जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी हार न मानते हुए कला के माध्यम से लोकसंस्कृति का संवर्धन किया।

इस वर्ष का लोक निर्मला सम्मान राजस्थान की विख्यात कलाकार पद्मश्री गुलाबो सपेरा को प्रदान किया गया। देश में लोकसंस्कृति के उन्नयन हेतु दिया जाने वाला यह पहला गैरसरकारी सम्मान है। समारोह में देश के विभिन्न अंचलों की लोकप्रस्तुतियाँ भी की गई। मालिनी अवस्थी कहती है कि देश की लोकपरंपरा का प्रचार प्रसार हो,उस दिशा में यह हमारी ओर से एक गिलहरी प्रयास है। लोक में सभी कलाएं परस्पर जुड़ी हैं।

लोकनिर्मला सम्मान के अंतर्गत एक चित्रकला का आयोजन किया गया। भारत के गाँव विषय पर युवा चित्रकारों ने अपनी कल्पना को कला को आकार दिया। विजयी चित्रकारों भी लोक निर्मला सम्मान कार्यक्रम में सोनचिरैया द्वारा पुरस्कृत किया गया। गुलाबो सपेरा का जन्म घुमंतू कालबेलिया  समुदाय में हुआ था। वह टिटि रॉबिन के संगीत कार्य में सक्रिय हैं। उनके पिता देवी उपासक थे, इसलिए वह हमेशा अपनी सभी बेटियों को देवी के आशीर्वाद के रूप में प्यार करते थे और विशेष रूप से सबसे कम उम्र की पुत्री से उन्हें लगाव था।

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