साउथ के दिग्गज अभिनेता सुपरस्टार रजनीकांत को 51वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज गुरुवार को इसकी घोषणा की।
कोरोना महामारी के चलते इस बार सभी पुरस्कारों को घोषणा देरी से हुई है। हाल ही में नेशनल अवॉर्ड की घोषणा भी हुई है। दादा साहब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता है।
रजनीकांत की असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ था। यही शिवाजी राव आगे चलकर रजनीकांत बने। रजनीकांत पांच साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया। मां के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंघे पर आ गई।
उनका बचपन मुश्किलों से भरा रहा है। बचपन में उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। रजनीकांत के लिए घर चलाना इतना आसान नहीं था। उन्होंने घर चलाने के लिए कुली तक का काम किया। फिल्मों में आने से पहले वे बस कंडक्टर की नौकरी करते थे।
रजनीकांत ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बालचंद्र की फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ से एंट्री ली थी। इस फिल्म में कमल हासन और श्रीविद्या भी थीं। रजनीकांत ने अपने अभिनय की शुरुआत कन्नड़ नाटकों से की थी। दुर्योधन की भूमिका में रजनीकांत घर-घर में लोकप्रिय हुए थे।