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समाजवादी चिंतक बाबू भगवती सिंह का निधन

समाजवादी चिंतक बाबू भगवती सिंह का “मंत्रीजी” का आज अल सुबह में निधन हो गया। वह कल शाम लखनऊ स्थित अपने सरकारी निवास रिवर बैंक कालोनी से रात्रि प्रवास के लिए बीकेटी के चन्द्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय आये थे। 89 वर्षीय समाजवादी नेता बाबू भगवती सिंह काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। इसके बावजूद वह सामाजिक कार्यों विशेष कर शिक्षा क्षेत्र में खासे सक्रिय थे। उनके निधन से राजनीति में एक बेहद ईमानदार राजऋषि की जगह रिक्त हो गयी है।

“बाबू जी” के नाम से प्रख्यात भगवती सिंह का पार्थिव शरीर उनके सरकारी आवास रिवर बैंक कालोनी, लखनऊ में जनता के दर्शनार्थ रखा गया है। वहां से उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज ले जाया जाएगा। क्योंकि, उन्होंने अपना शरीर केजीएमयू को दान कर दिया था।

बीकेटी के अर्जुनपुर गांव के निवासी समाजवादी नेता बाबू भगवती सिंह ने बड़े संघर्ष के बाद राजनीति की मुख्यधारा में खुद को स्थापित किया था। एक पुलिस सिपाही के बेटे बाबू जी कई बार विधायक, एमएलसी, पांच बार उप्र प्रदेश सरकार में मंत्री और सांसद भी रहे।
लगातार सत्ता में रहने के बावजूद वो अपने परिवार के लिए एक अदद भूखंड व मकान नहीं खरीद सके और न कोई उद्योग-धंधा जमा पाए।समाजवादी संत ने बस निःस्वार्थ भाव से गरीब, मजदूर, किसान, दलित, पिछड़े और मुस्लिम के उत्थान में अपन पूरा जीवन लगा दिया।

बाबू भगवती ने डॉ. राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव और पंडित जनेश्वर मिश्र की संगत में समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाया।
किसान नेता चौधरी चरण सिंह, मोहन सिंह, मुलायम सिंह यादव सहित इस पीढ़ी के साथ समाजवादी आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई बार वो जेल भी गए। बाबू जी जनहित में बहुत जुल्म भी सहे। राम सागर मिश्र के राजनीतिक शिष्य बाबू जी ने एक जमाने में भूखे पेट पदयात्राएं, साइकिल यात्राएं, धरना और प्रदर्शन किए।महोना/बीकेटी विधानसभा के विकास में उनका योगदान अगली पीढ़ी याद रखेगी।

बख्शी का तालाब को तहसील को दर्जा दिलाना, सीबी गुप्त कृषि महाविद्यालय की स्थापना, बीकेटी इंटर कालेज, कुम्हरावा इंटर कालेज और राष्ट्रपति स्मारक इंटर कॉलेज का कायाकल्प करवाना, गोमती नदी पर बसहरी घाट पुल, मंझी घाट पुल, मां चन्द्रिका देवी मंदिर और ऐतिहासिक तालाब ‘बक्सीताल’ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करवाना इत्यादि बाबू जी के खाते में हैं। वह इन दिनों चन्द्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय को विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थे। हालांकि, उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा था।

इतना ही महोना और इटौंजा को टाउन एरिया का दर्जा भी बाबू भगवती सिंह जी ने दिलाया। ग्रामीण इलाके में बिजली, पानी, सड़क और सिंचाई से जुड़े कई अभूतपूर्व कार्य भी भगवती सिंह जी के खाते में ही लिखे हैं। साथ ही, सैरपुर व बेहटा में राजकीय इंटर कॉलेज की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उनका 89वां जन्मदिन 26 अगस्त, 2021 को हम सब मानते। लेकिन, आज वह गोलकवासी हो गए। पिछले जन्मदिन की पूर्व संध्या पर उनसे एसआर इंजीनियरिंग कॉलेज में भेंट हुई थी। तब हम लोगों ने उनके स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना की थी। लेकिन किसे मालूम था कि वो इस तरह से हम लोगों को छोड़कर चले जाएंगे।

      नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

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