गर्मी शुरू होते ही न केवल पेयजल संकट शुरू हो गया है. शहरी क्षेत्रों में हैंडपंपों के धोखा देने से नगर पंचायत के सप्लाई वाटर के प्रति लोगों की निर्भरता बढ़ गयी है. वहीं नगर पंचायत का दूषित जल अब आम आदमी के लिए मुसीबत पैदा करने लगा है. अतरौलिया नगर पंचायत में पिछले एक सप्ताह से हो रहे दूषित जल की सप्लाई ने यहां के लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है. नगर पंचायत में दूषित पानी पीने से 250 लोग एक साथ बीमार पड़ गए हैं. उनका विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है.
नगर पंचायत में पिछले एक सप्ताह से दूषित पेयजल की आपूर्ति हो रही है. जब लोग बीमार हुए तो सीएचसी के एचईओ ने क्षेत्र में लोगों से मामले की जानकारी ली और क्लोरीन के साथ ओआरएस का पैकेट देकर जिम्मेदारी पूरी कर ली. दूषित पानी की आपूर्ति का जिम्मेदार कौन है, इन सब बातों को दरकिनार कर दिया गया.
पानी का दुष्प्रभाव 18 साल से कम उम्र के लोगों पर ज्यादा है. पहले तो लोग समझ नहीं पाए कि आखिर लोग क्यों बीमार हो रहे हैं? जब पानी पर गौर किया तो पता चला कि पानी दूषित है. देखने के बाद उसमें पीले व काले रंग के कुछ कीड़े दिखने लगे. इस मामले में अधिशासी अधिकारी संपूर्णानंद तिवारी का कहना है कि शायद पानी में ब्लीचिंग नहीं पड़ा है. उप जिलाधिकारी बूढ़नपुर का कहना है कि मामले की जांच करायी जा रही है. इसके लिए जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी महेंद्र कुमार ने कस्बे में क्लोरीन, ओआरएस का वितरण का वितरण जरूर कराया, लेकिन बीमार लोगों की कोई मदद नहीं की. सब मिलाकर हालात बेकाबू नजर आया. लोगों में नगर पंचायत और स्वास्थ्य विभाग को लेकर भारी गुस्सा दिख रहा है.