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अहंकार रहित इच्छा के साथ ईश्वर को समर्पित कर्मों से वासनाएं उत्पन्न नहीं होती: स्वामी चिन्मयानंद

लखनऊ। हम अपने आस-पास की दुनिया पर प्रभाव डाले बिना एक दिन भी नहीं जी सकते हैं और हमारे पास एक विकल्प है कि हम किस तरह का प्रभाव उत्पन्न करते हैं। आज हम उन सभी के लिए प्रार्थना करते हैं जो इस महामारी के कारण ‘आइसोलेशन’ में हैं। यद्यपि वे अपने प्रियजनों से शारीरिक रूप से दूर हैं, वे आध्यात्मिक रूप से प्रेम की उत्पत्ति से जुड़े रहें।

स्वामी चिन्मयानंद जी कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का कार्यक्षेत्र उसकी वासनाओं द्वारा ही तय किया जाता है। यह किसी और ने तय नहीं किया है, यहां तक कि भगवान भी नहीं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सबसे शक्तिशाली इच्छा की दिशा में अप्रितिरोध्य रूप से आकर्षित होता है। अधिकांश व्यक्ति अनुभव करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि इच्छाओं की पूर्ति और अपनी मानसिक शांति की खोज के लिए मैं अपना संपूर्ण बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक ध्यान एक दिशा में लगाता हूं, इसलिए मेरी सूक्ष्म बुद्धि केवल उसी क्षेत्र में बर्बाद हो रही है। सूक्ष्म चिंतन और ध्यान के लिए कोई ऊर्जा या बौद्धिक क्षमता उपलब्ध नहीं रहती है।

यही बहुमत की स्थिति है। हमारे अधिकांश सदस्यों के पास बहुत सारी वासनाएं हैं जिन्हें आपको समाप्त करना है। वाह्य जगत में काम करो, लेकिन जो भी काम तुम कर रहे हो उसे ईश्वर या उच्चतर केंद्रित समझो, ताकि अहंकार रहित इच्छा के बिना जब तुम बाहर की दुनिया में काम करो, मौजूदा वासनाएं समाप्त हो जाए, और इस तरह मन बुद्धि पर वासनाओं का दबाव कम हो जाए। इस तरह मन में उत्पन्न होने वाली इच्छाओं की दर कम हो जाती है, बाहर की दुनिया में मन का अपव्यय रुक जाता है, मन अपने ध्यान में अधिक गतिशील हो जाता है और ऐसा मन और बुद्धि चिंतन के लिए उपयुक्त है। कृष्ण यहाँ कहते हैं कि साधारण आदमी इसे महसूस करने में सक्षम नहीं है, जबकि वह ईश्वर या सत्य से केवल उतना ही दूर खड़ा हो जितना कि ज्ञानी व्यक्ति। ईश्वर पूर्ण और न्यायपूर्ण है, वह पक्षपात रहित है बल्कि हम सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध है।

भगवान हम पर अपनी कृपा कैसे बरसाते हैं? वह परिणाम नहीं देता है। जब कोई व्यक्ति शिक्षा, धन, शक्ति आदि किसी भी क्षेत्र में इच्छापूर्ति हेतु किसी देवता या शक्ति का आह्वान करता है, तब मैं उसको स्वयं पर और उसके काम में उसकी श्रद्धा को और सुदृढ़ और सशक्त करता हूं। मैं सफलता या असफलता नहीं देता लेकिन मैं अधिक अटूट विश्वास, वांछित क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अधिक शक्ति देता हूं। यदि आप करोड़पति बनना चाहते हैं, तो जरा सोचिए कि ऐसे कितने लोग इस धरती पर घूमते, रेंगते हुए दुनिया पर कोई छाप छोड़े बिना चले गए।

आज के ज्ञान यज्ञ के प्रारंभ में हरिहर विद्यालय चेन्नई के छात्रों ने गुरूदेव को समर्पित संस्कृत स्तुति प्रस्तुत की और वेदांत पाठ्यक्रम बैच-18 के साधकों द्वारा अध्याय 7 भगवत गीता के श्लोकों का गायन किया गया। साथ ही चिन्मय विश्वविद्यापीठ, चेन्नई का एक परिचयात्मक वीडियो भी दिखाया गया। यह ऑनलाइन वीडियो गीता ज्ञान यज्ञ यूट्यूब के चिन्मय चैनल पर 25 मई, 2021 तक प्रतिदिन शाम 7ः15 बजे से उपलब्ध रहेगा।

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