लखनऊ। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज कांग्रेस को कोसते हुये कहा कि भारत के इतिहास में आज ही के दिन 25 जून 1975 को देशभर में आपातकाल लगाने की घोषणा हुई थी। इसके साथ नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार छिन गए थे, प्रेस पर सेंसरशिप बैठ गई थी और सत्ता विरोधियों के लिए न अपील, न दलील और नहीं वकील की तानाशाही व्यवस्था लागू हो गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपने विरूद्ध जनाक्रोश को रोकने के लिए एक लाख लोगों को जेल की सलाखों के पीछे कैद करा दिया था।
लोकतंत्र की उस काली रात की याद आज भी शरीर में सिहरन पैदा कर देती है। चारो ओर दहशत और आतंक का माहौल था। आज उत्तर प्रदेश में वैसी ही कुछ परिस्थितियों का संकेत मिल रहा है। जबसे भाजपा की डबल इंजन सरकार बनी है वह लोकतंत्र को कुचलने में लगी है। किसान, नौजवान, दलित, वंचित सभी तो बदहाली में जी रहे हैं। नए-नए कानून थोपकर विपक्ष की आवाज को दबाने की साजिशें हो रही हैं। भाजपा लोकतंत्र को कुचलने में लगी है।
आज फिर वैसी ही स्थितियां पैदा होती दिख रही हैं। भाजपा सरकार के कार्यकाल में संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर आंच आई है। समाज में भय और अराजकता का वातावरण है। आपातकाल में उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र को बचाने के संघर्ष में जिनकी भागीदारी थी उनको सम्मानित करने का काम समाजवादी सरकार ने ही किया है। उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को प्रतिमाह 15 हजार रुपए की पेंशन स्वीकृत कर उनके सम्मानपूर्ण जीवन निर्वहन की व्यवस्था की। राजकीय वाहनों से यात्रा, अपने साथ एक सहयोगी रखने, निःशुल्क चिकित्सा के साथ मरणोपरांत राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि का भी प्रावधान किया गया और यह सब लोकतंत्र रक्षण अधिनियम बनाकर सुनिश्चित किया है।