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प्रेसीडेंशियल ट्रेन और यादों का झरोखा

डॉ दिलीप अग्निहोत्रीरामनाथ कोविंद जब भी कानपुर आते है,यादों की धरोहर उनके साथ होती है। वह उनका उल्लेख करते है। कोई दुराव छिपाव नहीं रहता। अपने गांव व साथ रहे लोगों से मिलकर वह भावुक होते है। राष्ट्रपति बनने के बाद अनेक बार वह अपने गृह जनपद कानपुर की यात्रा पर आए है।

प्रेसीडेंशियल ट्रेन से आने का अनुभव अलग रहा होगा। खासतौर पर तब जबकि उनकी ट्रेन कानपुर देहात के झींझक स्टेशन पर पहुंच रही होगी। यहां से कुछ दूरी पर उनका पैतृक गांव परौंख है। यह पूरा क्षेत्र उनकी यादों में समाया रहता है। यहां के खेत खलिहान गांव सभी को पहचानते है। यहां के लोगों को जानते है। याद करते है।

राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने एक भावुक प्रसंग सुनाया था। उनका जन्म साधारण परिवार में हुआ था। बरसात में छत टपकती थी। कभी पानी अधिक आ जाता तो बैठने की जगह नहीं रहती थी। बालक रामनाथ कोविंद को खड़े रहना पड़ता था। इस परिस्थिति के बाद भी संघर्ष करने का जज्बा था। पढ़ाई के प्रति ललक थी। वह आगे बढ़े। आज देश सर्वोच्च पद को सुशोभित कर रहे है।

कैफ़ी आज़मी की लाइन है- मेरा बचपन भी साथ ले आया, गाँव से जब भी आ गया कोई।

कानपुर देहात के झींझक स्टेशन पर यह शायरी जींवत हो रही थी। विशेष ट्रेन से देश के राष्ट्रपति यहां पहुंचे थे। उनसे मिलने गांव को लोगों का हुजूम था। रामनाथ कोविंद उन सबको देख कर भावुक थे। कुछ लोगों से बात की। सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। झींझक व रुरा स्टेशन पहुंचने पर भी स्वागत किया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश से नौ प्रधानमंत्री देश के हुए, पर राष्ट्रपति पहली बार आपके आर्शीवाद व स्नेह से हुए। अब उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति बनने का रास्ता खुल गया है।

राष्ट्रपति की प्रेसीडेंशियल महाराजा ट्रेन कानपुर देहात के झींझक स्टेशन पर सायंकाल पहुंची थी। उनके पैतृक गांव परौंख के सैकड़ों लोग यहां मौजूद थे। सुरक्षा कारणों से मात्र अड़तीस लोगों की उनसे मुलाकात हो सकी। उन्होंने लोगों से अपील की है कि हमेशा निष्पक्ष होकर ही मतदान करना। सभी नागरिकों को समझदार और जागरुक बनना चाहिए तभी देश उन्नत करेगा।

वसुधैव कुटुम्बकम को हम भूलते जा रहे हैं,इसी कारण सभी सुविधाएं होने के बाद भी शायद आज हम पहले जितना खुश नहीं हैं। हम सबको मिलकर आगे बढ़ाना है और तरक्की के रास्ते पर और आगे ले जाना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि कोरोना महामारी अदृश्य है यह दिखाई नहीं देती। इससे बचने के लिए मास्क जरूर लगाएं। सावधान रहें और दूसरों को भी इस बीमारी से बचने के उपाय बताते रहें।

पिछले कई दिन से उनके आगमन की तैयारियां चल रही थी। सुरक्षा के संबन्ध में पूर्वाभ्यास भी किया गया था। ऐसा पूर्वाभ्यास दिल्ली कानपुर रूट के अनेक रेलवे स्टेशनों पर भी किया गया। शताब्दी एक्प्रेस को प्रतीकात्मक रूप में मानकर पूर्वाभ्यास हुआ था।

डीएवी का गौरव

रामनाथ कोविंद की बचपन से लेकर शिक्षा प्राप्ति तक अनगिनत यादें कानपुर से जुड़ी है। वह उन्होंने इंटर की पढ़ाई बीएसएसडी और स्नातक की पढ़ाई डीएवी से की थी। कानपुर के डीएवी के साथ अभूतपूर्व गौरव जुड़ा है।

यहां के पूर्व एक पूर्व छात्र अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने थे। एक अन्य पूर्व छात्र रामनाथ कोविंद इस समय देश के राष्ट्रपति है। राष्ट्रपति बनने के बाद वह कानपुर की यात्रा में वह अपने गुरुजनों से भी मिले थे। चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद भी लिया था।

रामनाथ कोविंद अनेक अवसरों पर कानपुर के अपने अनुभव साझा करते है। उनका जीवन प्रेरणादायक है। कानपुर सेण्ट्रल रेलवे स्टेशन पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अंगवस्त्र भेंट कर उनका स्वागत किया।

इस अवसर पर औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना,उच्च शिक्षा राज्यमंत्री नीलिमा कटियार,महापौर प्रमिला पाण्डेय सहित जन प्रतिनिधिगण,शासन प्रशासन,रेलवे एवं सेना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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