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टीम का कैप्टन होने के नाते प्रधानमंत्री को पहले देना चाहिए था इस्तीफा : लोकदल

लखनऊ। कैबिनेट में बदलाव को लेकर लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा है कि बदलना ही है तो किसानों की तस्वीर बदल दे, किसानों की आय दुगनी कर देते, महंगाई कम कर देते, स्वास्थ व्यवस्था ठीक कर लेते, पेट्रोल डीजल का दाम कम कर लेते, बेरोजगारो को रोजगार दे देते सिर्फ कैबिनेट बदलने से देश की गिरी अर्थव्यवस्था ठीक नही हो जाएगी कोरोना महामारी के अव्यवस्था से हुवा नरसंहार बदल नही जायेगा, महंगाई काम नहीं हो जायेगी, बेरोजगारी, गरीबों को राशन, वैक्सीन की कमी ठीक नही हो जाएगी।

सुनील सिंह ने कहा है की मंत्रिमंडल में वह ही मंत्री टिकेगा जो काम करेगा। ऐसे में सबसे पहले उंगली खुद प्रधानमंत्री पर ही उठती है। यदि सरकार के मंत्री काम नहीं कर रहे थे तो सरकार विफल चल रही थी। सिंह ने कहा है जो कैप्टन अपनी टीम से काम न ले पाए उसे कैप्टन पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं होता है। यदि प्रधानमंत्री अपनी टीम से काम नहीं ले पा रहे थे तो मोदी को नैतिकता के नाते पहले खुद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था। उनकी काम करने की जो शैली है उसके अनुसार तो वह किसी को काम करने देते ही नहीं। उनका प्रयास तो यह होता है की सभी निर्णय वह खुद ही लें।

Sunil Singh

प्रधानमंत्री ने जिस तरह से विदेश में दौरे किये हैं उसके आधार पर विदेश मंत्री का काम तो वह खुद ही संभाले रहे हैं। कोरोना काल में तो वह खुद स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका में रहे। थालियां और तालियां बजाकर कोरोना को भगाने का फार्मूला तो प्रधानमंत्री ने ही किया तैयार किया है। ये वही प्रधानमंत्री हैं जो कोरोना महामारी में भी सत्ता के लिए प. बंगाल में डटे रहे। संक्रमित लोगों की चिताएं जलती रहीं और वह राजनीति करते रहे। सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि ये वह प्रधानमंत्री हैं जो किसानों के सात महीने से सडक़ों पर बैठे रहने के बावजूद नहीं पसीजे हैं। जिन्होंने नये किसान कानून बनाकर किसानों को उनके ही खेत में बंधुआ बनाने का षड़यंत्र रच डाला है।

जिन्होंने श्रम कानून में संशोधन कर नई पीढ़ी को निजी कंपनियों में बंधुआ बनाने की पूरी तैयारी कर दी है जो निजीकरण कर पिछड़ों की रोजी-रोटी छीनने में लगे हैं। जो आरक्षण समाप्त करने में लगे हैं। प्रधानमंत्री ही सभी मंत्रालय के काम देखते हैं। सिंह ने कहा जब खुद ही सभी मंत्रालयों की जिम्मेदारी लिये बैठे हैं तो फिर इन बेचारे मंत्रियों को हटाने का क्या मतलब?

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