राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन व नैक मूल्यांकन हेतु विश्वविद्यालयों को पहले से निर्देशित करती रही है। इसके साथ वह विश्वविद्यालयों सामाजिक सरोकार में सहभागिता की भी प्रेरणा देती है। उनकी प्रेरणा से अनेक विश्वविद्यालय इस दिशा में कार्य भी कर रहे है। इसके साथ ही आनंदीबेन नैक मूल्यांकन हेतु विश्वविद्यालयों द्वारा तैयार प्रेजेंटेशन को भी देख रही है।
इसमें वह छोटे छोटे बिंदुओं तक कि समीक्षा करती है। उनको जहां कमी नजर आती है,उसमें सुधार का सुझाव भी देती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन में अपने स्तर के सुधार के लिए और अधिक प्रयास करें तथा नैक की सर्वोच्च रैंक पर अन्य विश्वविद्यालयों के लिए प्रतिमान स्थापित करने वाला स्तर हासिल करें। उन्होंने राजभवन में नैक मूल्यांकन हेतु महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली का प्रस्तुतीकरण का अवलोकन किया।
कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय को उस क्षेत्र में स्थापित इण्डस्ट्रियों कम्पनियों के सीएसआर फण्ड से विश्वविद्यालय ने इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में सहभागिता कराने, छोटे स्तर पर महिला उद्यमिता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम करने, गरीब छात्रों के घर तक सम्पर्क हेतु शिक्षक मेन्टोर को निर्देशित करने, एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ की तर्ज पर व्यवस्थाओं को आनलाइन करने, छा़त्रों को उनके कोर्स से सम्बंधित व्यवहारिक ज्ञान तथा कम्प्यूटर प्रशिक्षण की जानकारी देने, विश्वविद्यालय के म्यूजियम को शिक्षण से जोड़ने, कैम्पस में दिव्यांगों के लिए शत् प्रतिशत सुविधाएं व्यवस्थित कराने के निर्देश दिए।
कुलपति से कहा कि वे विद्यार्थियों को जानकारी दें कि विश्वविद्यालय की ‘नैक श्रेणी’ में सुधार होने पर केन्द्र सरकार से योजनाओं के लिए अधिक फण्ड तथा छात्रों के लिए सुविधाओं में विस्तार प्राप्त हो जाता है।
उन्होंने इसके लिए शोध छात्र-छात्राओं को भी प्रशासनिक गतिविधियों से जोड़कर विश्वविद्यालय की नैक श्रेणी के सुधार हेतु प्रेरित करने को कहा। कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय को अपनी गतिविधियों को अधिकतम आनलाइन रखने,पुराने डेटा के संकलन को दुरूस्त करने,विद्यार्थियों से तालमेल बेहतर रखने, नवाचार बढ़ाने सम्बन्धी निर्देश दिए।