गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है। सितम्बर 2018 में विधानसभा में यह बिल पास हो गया था और अब इसे केंद्र के पास अप्रूवल के लिए बढ़ाया गया है। उत्तराखंड की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने उत्तराखंड विधानसभा में बिल पेश किया था। बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘हम सभी (विपक्ष और सत्ता) गाय के महत्व से वाकिफ हैं। न सिर्फ भारत बल्कि दूसरे देशों में भी इसका सम्मान किया जाता है।’ धार्मिक ग्रन्थों में भी, गाय का उल्लेख मिलता है और कहा जाता है कि इसके शरीर में 33 करोड़ देवी और देवताओं का वास होता है। वह कहती हैं कि अगर गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा मिल जाता है तो इनकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे ताकि गोवध बंद हो सके।’ धार्मिक महत्व के अलावा गाय का आर्थिक महत्व भी है। कई लोगों के लिए यह गाय कमाई का जरिया भी है और लोग जीविकोपार्जन के लिए इस पर निर्भर हैं।
यूपी में की जा रही गाय को राज्यमाता का दर्जा दिए जाने की मांग
उत्तर प्रदेश में भी “गाय को राज्य माता का दर्जा” दिए जाने की मांग को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। लोक परमार्थ सेवा समिति के माध्यम से गौ सेवक लालू भाई एक अरसे से इस अभियान में जुटे हुए हैं। लालू भाई गौशालाओं में जाकर गायों के लिए छप्पन भोग भण्डारा करके लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसके अलावा “पोस्टकार्ड अभियान” के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री को सामूहिक पोस्टकार्ड प्रेषित करके गाय को राज्यमाता का दर्जा दिए जाने की मांग की जा रही है।
गौ सेवा कर योगी सरकार ने दूसरे राज्यों के लिए पेश की नजीर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौ सेवा कर दूसरे राज्यों के लिए नजीर पेश की है। मुख्यमंत्री योगी ने गायों को न सिर्फ गौ आश्रय स्थल दिलवाया है, बल्कि उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान की भी व्यवस्था की है। प्रदेश में गौ सेवा से एक पंथ, कई कार्य हो रहे हैं। गौ सेवा से पुण्य भी मिल रहा, गौ सेवा भी हो रही, कुपोषित बच्चों को सुपोषित और स्वेच्छा से गौ सेवा कर रहे किसानों को आत्मनिर्भर भी बनाया जा रहा है। साथ ही छुट्टा पशुओं की समस्याओं से लोगों को राहत भी मिल रही है। पहली बार पूरे प्रदेश में गोपाष्टमी पर्व पर जिले स्तर पर कार्यक्रम हुए, जिसमें मंत्री से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों की सहभागिता रही। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मीरजापुर में कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान सभी जिलों में गौवंश का चिकित्सकीय परीक्षण और टीकाकरण, मुख्यमंत्री निराश्रित गौवंश सहभागिता योजना और कुपोषित बच्चों के परिवारों को दुधारू गाय दी गईं। साथ ही कृषक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
प्रदेश में 2017 के पहले नाम मात्र गौशालाएं थीं, लेकिन अब 5145 सरकारी गौ आश्रय स्थलों में पांच लाख 25 हजार तीन सौ 76 गौवंश हैं। इसके अलावा 456 निजी गौशाला रजिस्टर्ड हैं, जिनमें हजारों की संख्या में गौवंश हैं। एक हजार 56 गौआश्रय स्थलों पर जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में एक करोड़ 11 हजार गौवंशों की टैगिंग की गई है।
1178 अति कुपोषित बच्चों के परिवारों को 1184 गौवंश दिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गौ सेवा से अति कुपोषित बच्चों के परिवारों को भी जोड़ा गया है। प्रदेश में अब तक 1178 अति कुपोषित बच्चों के परिवारों को 1184 गौवंश दिया गया है। इससे कुपोषित बच्चों को सुपोषित भी किया जा रहा है और परिवार भी आत्मनिर्भर बन रहा है।
प्रदेश में सहभागिता योजना के तहत 66 हजार 257 गौवंश को पात्रों को दिया गया है। साथ ही उन्हें हर माह गौ सेवा के लिए नौ सौ रुपए भी सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पराली को लेकर पहल रंग ला रही है। प्रदेश में दो लाख 62 हजार कुंतल पराली जनसहयोग से गौशाला स्थलों में जमा कराई गई है। उन्नाव जिले में एक ट्राली पराली के बदले खाद दी जा रही है, तो कानपुर देहात में पराली देने पर किसानों को सम्मानित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार ने निराश्रित गौवंश सहभागिता योजना के माध्यम से गौआश्रय स्थल की एक गाय की देखभाल के लिए इच्छुक व्यक्तियों को नौ सौ रुपए प्रति माह देने की व्यवस्था की है। इससे निजी संस्थाओं को भी जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गुजरात में गाय के गोबर से सीएनजी तैयार की जा रही है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी गोबर से सीएनजी बनाने की संभावनाओं को तलाशा जाए। उन्होंने वृहद गौसंरक्षण केंद्र स्थापित करने के निर्देश भी दिए हैं।