अमेरिका में एक बार फिर मोदी मोदी की गूंज हुई। पानी में भीगते हुए उनके स्वागत में हुजूम उमड़ा था। व्हाइट हाउस में भी वही सरगर्मी दिखाई दी। मोदी और बाइडेन की मुलाकात पर दुनिया की निगाह थी। तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे। कतिपय आशंकाएं भी थी। लेकिन व्हाइट हाउस में बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प का इतिहास अपने को दोहराता दिखाई दिया।
नरेंद्र मोदी के साथ इनकी दोस्ती नायाब थी। बाइडेन भी नरेंद्र मोदी से प्रभावित दिखाई दिए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को सराहनीय बताया। कहा कि अमेरिका और भारत के संबद्ध पहले से अधिक सुदृढ़ होंगे। दोनों देश मिल कर सहयोग की दिशा में आगे बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा अनेक सन्दर्भों में उपयोगी साबित हुए। वैश्विक संगठनों में उनके विचारों को सर्वाधिक महत्व मिला। क्योंकि इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः का भारतीय चिंतन समाहित था। अफगानिस्तान और पाकिस्तान दुनिया के लिए चुनौती बन गए है। अफगानिस्तान की सरकार में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित आतंकियों का वर्चस्व है। पाकिस्तान इनका प्रबल समर्थक है।
इस कारण दक्षेस के शिखर सम्मेलन को भी स्थगित करना पड़ा। आतंकी मुल्कों को चीन का भी समर्थन प्राप्त है। नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में इस वैश्विक समस्या को प्रभावी ढंग से उठाया। अनेक देशों ने उनके विचारों को समर्थन दिया। इसके अलावा नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा द्विपक्षीय संबंधों की द्रष्टि से भी उपयोगी रही। अनेक देशों के साथ द्विपक्षीय विचार विमर्श हुआ। आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई। अमेरिका के साथ भी द्विपक्षीय रिश्तों में गर्मजोशी आई है। क्वाड के पहले शिखर सम्मेलन में भी नरेंद्र मोदी के विचार वैश्विक शांति सौहार्द व सहयोग के अनुकूल थे। इससे चीन परेशान है। क्योंकि वह आतंकवाद को अपरोक्ष संरक्षण प्रदान कर रहा है।
इससे तालिबान और पाकिस्तान की सरकार मनोबल बढ़ा है। यह मुल्क विश्वशांति के लिए खतरा है। क्वाड के पहले शिखर सम्मेलन पर चीन ने कहा कि चार देशों के समूह को किसी तीसरे देश और उसके हितों को लक्षित नहीं करना चाहिए। उसके अनुसार किसी तीसरे देश के खिलाफ छोटा गठबंधन बनाना समय के प्रवाह और क्षेत्र के देशों की आकांक्षा के खिलाफ है। ऐसे गठजोड़ को समर्थन नहीं मिलेगा। उसका असफल होना निश्चित है। लेकिन चीन ने यह नहीं बताया कि कोई तीसरा देश आतंकवाद का बचाव कर रहा हो तो विश्व समुदाय को प्रयास क्यों नहीं करना चाहिए। भारत अमेरिका जापान और ऑस्ट्रेलिया इसी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे है। चीन केवल आतंक को संरक्षण ही नहीं दे रहा है,बल्कि वह भारतीय सीमा पर भी तनाव व अशांति बनाये रखने का लगातार प्रयास करता है। चीन द्वारा अपने को शांतिवादी बताना हास्यास्पद है।
दक्षिण चीन सागर पर उसका दावा बेमानी है। बिडंबना यह कि चीन अपने को विश्व शांति का निर्माता,वैश्विक विकास का योगदानकर्ता और विश्व व्यवस्था का धारक घोषित कर रहा है। उसके इस बयान पर तालिबान और पाकिस्तान ही विश्वास कर सकते है। क्योंकि इस सबका नजरिया एक जैसा है। इसके चलते ही चीन सदैव भारतीय सीमा पर समस्या पैदा करता रहता है। इस समय वह पूर्वी लद्दाख में अशांति फैलाने का प्रयास कर रहा है। उसके द्वारा भारतीय सीमा पर सैन्य गतिरोध बनाया गया है।।भारत के साथ सीमा पर शांति और सौहार्द्र कायम रखने की उसकी नीयत ही नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में क्वाड के पहले शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काट मारीसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिंदे सुगा शामिल हुए हैं। व्यक्तिगत उपस्थिति वाला यह पहला शिखर सम्मेलन है। भारत अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और जापान भी चीन की विस्तारवादी नीति के विरोधी है। अमेरिका की नई सरकार भी नरेंद्र मोदी के शांति व सहयोग के विचार से सहमत है। अमेरिका ने कहा कि भारत के साथ अपनी मजबूत साझेदारी का निर्माण जारी रखेंगे।
बाइडन ने अपने संबोधन के दौरान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भारतीय विरासत का भी संदर्भ दिया। कहा कि चालीस लाख दिन अमेरिका को मजबूत बनाते हैं। अमेरिका भारत कई चुनौतियों का समाधान करने समर्थ हैं। भारत और अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय शुरू हो रहा हैं। नरेंद्र मोदी और बाइडेन की मुलाकात बहुत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। ऐसा लग जैसे दो पुराने मित्र मिल रहे है। बाइडेन ने भारत से संबंधित अपनी पुरानी यादें ताजा की। उन्होंने बाइडन सरनेम वाले एक व्यक्ति का उल्लेख किया। पांच दशक पहले वह पहली बार सीनेटर चुने गए थे। तब बाइडेन सरनेम वाले व्यक्ति ने उन्हें पत्र लिखा था। उपराष्ट्रपति के रूप में बाइडेन मुम्बई यात्रा पर आए थे। तब उनसे पूछा गया था कि क्या भारत में उनका कोई रिश्तेदार है। इस प्रसंग को जो बाइडेन आज भी याद करते है। उन्होंने बताया कि वह भारतीय मूल की एक महिला के साथ शादी करना चाहते थे।
बाइडन ने मोदी की जम कर प्रशन्सा की। कहा कि नरेंद्र मोदी ने भारत अमेरिका संबंधों के विस्तार के बीज बोए गए हैं। उपराष्ट्रपति के रूप में बाइडेन ने कहा था कि ट्वेंटी ट्वेंटी तक भारत और अमेरिका दुनिया के सबसे करीबी देशों में होंगे। उनकी बात चरितार्थ हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच बेहतर आपसी समझ थी। उस दौर में दोनों देश के बीच साझेदारी का विस्तार हुआ था उनके उत्तराधिकारी जो बाइडेन के दृष्टिकोण को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही थी। कहा गया कि वह अनेक मुद्दों पर भारत का विरोध कर चुके है। लेकिन यह उस समय की बात है जब वह राष्ट्रपति नहीं बने थे।
राष्ट्रपति बनने के बाद उनका निजी रुख ही महत्वपूर्ण नहीं रह जाता। बल्कि अमेरिकी आवाम का रुख देखना भी राष्ट्रपति के लिए अपरिहार्य हो जाता है। अमेरिका के लोग भी आतंकवाद के विरोधी है। इस पर नरेंद्र मोदी का स्पष्ट रुख वहां चर्चा में रहता है। आमजन इससे प्रभावित है। इसके अलावा भारत व अमेरिका की आर्थिक व्यापारिक सामरिक साझेदारी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत की भूमिका का विस्तार हुआ है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत का महत्व बढा है। इसको भी बाइडेन समझते है। नरेंद्र मोदी की बाइडेन के अलावा उपराष्ट्रपति कमल हैरिस से भी मुलाकात हुई।
दोनों देश आपसी संबंधों को आगे बढाने पर सहमत हुए। इस मुलाकात भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी साझा हितों के वैश्विक मुद्दों,अफगानिस्तान और भारत प्रशांत क्षेत्र पर विचार विमर्श हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी में अमेरिकी सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया। वार्ता में आतंकवाद का मुद्दा भी प्रमुख था। अमेरिका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान की धरती पर कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं। पाकिस्तान को इन आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करनी चाहिए। पाकिस्तान तालिबान की मदद कर रहा है। अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी दी। कहा कि वह भारत और अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा न बने और अपने यहां पनप रहे आतंकवाद को खत्म करे।
भारत अमेरिका का महत्वपूर्ण साझेदार है। अमेरिका को भारत के लोगों की जरूरत और उसके लोगों के वैक्सीनेशन में सहयोग देने पर गर्व है। कोविड टीकों के निर्यात को फिर से शुरू करने की भारत की घोषणा का स्वागत किया। भारत रोजाना करीब एक करोड़ लोगों को वैक्सीनेट कर रहा है।मोदी ने कहा कि अमेरिका ने एक सच्चे दोस्त की तरह भारत को सहयोग किया है। अमेरिकी सरकार, कॉर्पोरेट सेक्टर और अमेरिका में भारतीय समुदाय के लोग भारत को सहयोग करने के लिए आगे आए। भारत को कोरोना से लड़ने में इन लोगों ने बहुत सहयोग किया। उन्होंने कहा कि यहां भारतीय समुदाय के लोग दोनों देशों के बीच दोस्ती का रास्ता बन गए हैं। इसके अलावा नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में पांच कपंनियों के सीईओ से मुलाकात की। उनमें क्वालकाम,एडोब,फर्स्ट सोलर,जनरल एटोमिक्स और ब्लैकस्टोन शामिल हैं।
उक्त कंपनियों के सीईओ भारत में निवेश के लिए उत्सुक है। इनमें दो कंपनियों के सीईओ भारतीय मूल के हैं। इनमें एडोब के सीईओ शांतनु नारायण और जनरल एटोमिक्स के सीईओ विवेक लाल भारतीय अमेरिकी हैं। तीन अन्य सीईओ में क्वालकाम के क्रिस्टिआनो ई.एमोन, फर्स्ट सोलर के मार्क विडमार और ब्लैकस्टोन के स्टीफन ए.स्वार्जमैन शामिल हैं। एडोब के सीईओ नारायण से मुलाकात भारत सरकार की सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्षेत्र में प्राथमिकता को दर्शाती है। जनरल एटोमिक्स के सीईओ लाल से मुलाकात कंपनी सैन्य ड्रोन तकनीक के मामले में अग्रणी व सैन्य ड्रोन के उत्पादन में दुनिया की शीर्ष कंपनी होने के कारण अहम है। भारत अपनी तीनों सेनाओं के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में है। क्वालकाम के क्रिस्टिआनो से मुलाकात भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि भारत फाइव जी तकनीक को सुरक्षित बनाने पर जोर दे रहा है। यह कंपनी वायरलेस तकनीक से जुड़े सेमीकंडक्टर और साफ्टवेयर बनाती है।
भारत की कोशिश क्वालकाम को देश में बड़े निवेश के लिए आकर्षित करने की है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है। फर्स्ट सोलर के सीईओ मार्क विडमार से प्रधानमंत्री की मुलाकात के खास मायने हैं। उनकी कंपनी फोटोवोल्टिक सोलर साल्यूशंस की अग्रणी वैश्विक प्रदाता है। ब्लैकस्टोन दुनिया की अग्रणी निवेश कंपनी है।
एडोब के सीईओ शांतनु नारायण ने कहा कि हमारे लिए हमारी सबसे बड़ी संपत्ति लोग हैं। शिक्षा को प्रोत्साहित करने के संबंध में जो कुछ भी होता है। डिजिटल साक्षरता होने से एडोब को मदद मिलती है। हम शिक्षा में अधिक जोर और रुचि के बहुत समर्थक हैं।फर्स्ट सोलर के सीईओ मार्क आर विडमार ने कहा कि स्पष्ट रूप से उनके नेतृत्व के साथ और उन्होंने औद्योगिक नीति के साथ साथ व्यापार नीति में एक मजबूत संतुलन बनाने के लिए क्या किया है। यह भारत में विनिर्माण स्थापित करने के लिए फर्स्ट सोलर जैसी कंपनियों के लिए एक आदर्श अवसर बनाता है।
जनरल एटॉमिक्स के सीईओ विवेक लाल ने कहा कि यह एक उत्कृष्ट बैठक थी। हमने प्रौद्योगिकी और भारत में आने वाले नीतिगत सुधारों में विश्वास और निवेश के नजरिए से भारत में अपार संभावनाओं के बारे में बात की। ब्लैक स्टोन के चेयरमैन सीईओ स्टीफन ए श्वार्जमैन कहा कि मोदी सरकार विदेशी निवेशकों के लिए एक बहुत ही अनुकूल सरकार है। भारत दुनिया में निवेश के लिए ब्लैकस्टोन का सबसे अच्छा बाजार रहा है। यह अब दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश है। इसलिए हम बहुत आशावादी हैं।